मॉस्को।रूस कोरोना वायरस की दूसरी वैक्सीन को शुरुआती अध्ययन के बाद ही एक बार फिर से मंजूरी दे दी है। यह एलान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सरकारी अधिकारियों की बैठक में बुधवार को किया। पहले की तरह इस बार भी हड़बड़ी में वैक्सीन को मंजूरी देने के लिए रूस की आलोचना हो रही है। पुतिन ने कहा कि अब हमें पहली और दूसरी वैक्सीन का उत्पादन तेज करने की जरूरत है। यह नई वैक्सीन साइबेरिया के वेक्टर इंस्टीट्यूट ने विकसित की है। शुरुआती चरणों में करीब 100 वॉलंटियर्स को इसका डोज दिया गया। 

इस संभावित वैक्सीन को एपिवैक कोरोना नाम दिया गया है। हालांकि वैज्ञानिकों ने इसके ट्रायल रिजल्ट को अब तक सार्वजनिक नहीं किया है। हालांकि, एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि यह वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है और कोरोना वायरस से 6 महीने तक बचाव कर सकती है। इस संभावित वैक्सीन का तीसरे और सबसे जरूरी चरण का ट्रायल नवंबर-दिसंबर में शुरू होगा, जिसमें हजारों वॉलंटियर हिस्सा लेंगे। वैक्सीन इंसानों के लिए कितनी सुरक्षित है, इसका पता तीसरे चरण के ट्रायल के बाद ही चल पाएगा।  

रूस के उप प्रधानमंत्री तात्याना गोलिकोवा का दावा है कि उन्होंने इस वैक्सीन के शुरुआती चरण के ट्रायल में हिस्सा लिया है और अंतिम स्टेज के ट्रायल में करीब 40 हजार वॉलंटियर हिस्सा लेंगे। हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि क्या ट्रायल के दौरान वैक्सीन के अलग प्रयोग की मंजूरी दी जाएगी। 

इससे पहले रूस के गामलेया इंस्टीट्यूट ने स्पुतनिक वी नाम की वैक्सीन को विकसित करना शुरू किया था। रूस की सरकार ने 11 अगस्त को इस वैक्सीन को मंजूरी दे दी थी। तब भी पुतिन ने कहा था कि इस वैक्सीन का डोज उनकी एक बेटी को दिया गया है। 

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दूसरी तरफ विशेषज्ञ रूस के इन दावों और हड़बड़ी पर सवाल उठा रहे हैं। रूस यह घोषणा कर चुका है कि स्पुतनिक वी के तीसरे चरण के ट्रायल के दौरान ही हाई रिस्क ग्रुप में आने वाले लोगों का टीकाकरण किया जाएगा। ऐसे में विशेषज्ञों को चिंता है कि वैक्सीन की सुरक्षा निर्धारित किए बिना टीकाकरण करना खतरनाक हो सकता है। आपको बता दें कि अब तक कम से कम तीन कंपनियां वॉलंटियर्स के बीमार पड़ जाने की वजह से अपनी संभावित वैक्सीन का ट्रायल रोक चुकी हैं। इन हालात में रूस का ठीक से ट्रायल पूरा किए बिना ही वैक्सीन को मंज़ूरी देना बहुत से वैज्ञानिकों की राय में सही नहीं है।