यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों का जीना दूभर हो गया है। मुश्किल में फंसे छात्रों को न भारत सरकार से मदद मिल रही है और न ही एंबेसी की ओर से कोई व्यवस्था है। हजारों की संख्या में भारतीय छात्रों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया है। स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पोलैंड बॉर्डर्स पर भूख प्यास से तड़प रहे छात्रों को अब पोलैंड की पुलिस बेरहमी से पीट रही है।



गुरुग्राम की एक छात्रा अदिति चौहान ने रोते हुए पोलैंड बॉर्डर की हकीकत बयां की है। अदिति ने बताया कि पोलैंड की पुलिस भारतीय छात्र-छात्राओं की बेरहमी से पिटाई कर रही है। पोलैंड के सनकी पुलिसकर्मी छात्राओं को भी नहीं छोड़ रहे हैं। छात्र-छात्राओं को लात से मार रहे हैं। 





अदिति के मुताबिक कई छात्रों को थर्ड डिग्री टॉर्चर किया जा रहा है। निर्दयी पुलिसकर्मी एक अस्थमा पीड़ित छात्र की नाक बंद कर उसे तड़पाते रहे और अन्य लोगों को दिखाया कि ये सांस नहीं ले पा रहा है। इतना ही नहीं वीजा देने के लिए पुलिस ने कोई "हंटर गेम" खेलने को कहा है। इस खेल में छात्रों को बेरहमी से चोट पहुंचाया जा रहा है। पोलैंड बॉर्डर पर भारत के सैंकड़ों छात्र-छत्राएं फंसे हुए हैं और भूख प्यास से तड़प रहे हैं।



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मध्यप्रदेश के 20 छात्र यूक्रेन के टरनोपिल से शुक्रवार रात 2 बजे पोलैंड के लिए पैदल निकले। उन्होंने माइनस चार डिग्री तापमान में 10 घंटे तक पैदल चलकर करीब 50 किलोमीटर का सफर तय किया। लेकिन पोलैंड बॉर्डर पर एम्बेसी के अधिकारी मौजूद नहीं हैं। उनके पास खाने-पीने के लिए भी कुछ नहीं है।



उज्जैन की रहने वाली अनुष्का यादव ने बताया कि एम्बेसी से उन्हें पोलैंड बॉर्डर तक जाने के लिए कहा गया था। वह कई राज्यों के छात्रों के साथ पोलैंड बॉर्डर के लिए निकली थी। छात्रों के पास सिर्फ एक-एक पानी की बोतल और कुछ खाना था। किसी तरह पोलैंड बॉर्डर पहुंचे लेकिन अब यहां से कोई उपाय नहीं सूझ रहा है। खाने-पीने की भी कोई व्यवस्था नहीं है। कई छात्रों की तबियत भी बिगड़ती जा रही है। 



उत्तर प्रदेश के यूपी में गाजियाबाद निवासी शिवम ने शनिवार को बताया था कि करीब 100 से 120 स्टूडेंट्स को भारतीय दूतावास की बसें पोलैंड बॉर्डर तक ले गईं और उन्हें शुक्रवार शाम को वहां ले जाकर छोड़ दिया। जो बसें इनको बॉर्डर पर लेकर गई थीं, वे भी अब वहां पर मौजूद नहीं हैं। ऐसे में ये स्टूडेंट्स अपने बंकर, हॉस्टल या फ्लैट में वापस आने की स्थिति में भी नहीं हैं। बॉर्डर पर खाने-पीने के कोई इंतजाम नहीं है।



विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा है कि रोमानिया और हंगरी के लिए बॉर्डर क्रॉसिंग कार्यरत है। पोलैंड के लिए बॉर्डर के रास्ते लाखों की संख्या में यूक्रेनी नागरिक और दूसरे देशों के लोगों द्वारा यूक्रेन छोड़ने के प्रयास के चलते वहां समस्या का सामना करना पड़ रहा है।