रूस के नागरिकों ने उस संविधान संशोधन प्रस्ताव पर मतदान करना शुरू कर दिया है, जो राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को दो बार और राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने की इजाजत दे देगा। ऐसा होने पर व्लादिमीर पुतिन 2036 तक रूस के राष्ट्रपति पद पर बने रह सकते हैं।  संविधान संशोधन को लेकर रूस में जनमत संग्रह अगले 7 दिनों तक चलेगा। संविधान संशोधन पर जनमत संग्रह के लिए मतदान पहले एक जुलाई से शुरू होना था लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए अब यह सात दिनों तक चलेगा। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने यह पूरी जानकारी दी है।

विपक्ष ने इसकी कड़ी आलोचना की है। इस वक्त में रूस में रोज़ाना 8000 कोरोना संक्रमित मरीज़ों की तादाद बढ़ रही है।रूस दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमितों का देश बन चुका है, ऐसे में पूरी दुनिया रूस के इस कदम से हैरान है।

रूस के वर्तमान राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पिछले 20 सालों से राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के तौर पर रूस की सत्ता में बने हुए हैं। उन्होंने इस साल जनवरी में देश के 1993 में अपनाए गए संविधान में संशोधन के प्रस्ताव पेश किए थे, जिसे संसद के दोनों सदनों और क्षेत्रीय विधायिकाओं ने हड़बड़ी में अपना लिया था।

बाद में व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि इन प्रस्तावों पर रूस की जनता को मतदान करना चाहिए। इससे इन प्रस्तावों को वैधता मिलेगी। हालांकि, प्रस्तावों के पारित होने के लिए कानूनी रूप से जनमत संग्रह की जरूरत नहीं है।

संविधान संशोधन के तहत राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की कार्यकाल सीमा शून्य कर दी जाएगी, जिसके कारण वे दो बार और इस पद के लिए चुनाव लड़ पाएंगे। उनका वर्तमान कार्यकाल 2024 में खत्म होगा।

विपक्ष इसे संवैधानिक तख्तापलट बता रहा है। विपक्ष के नेता एलेक्जेई नवाल्नी ने कहा कि यह जनमत संग्रह और कुछ नहीं बस पुतिन को ताउम्र राष्ट्रपति बनाए रखने की लुभावनी योजना है। विपक्ष ने इन संशोधनों के खिलाफ मोर्चा खोला था लेकिन अप्रैल में कोरोना वायरस का हवाला देकर विपक्ष की प्रतिरोध सभाओं और रैलियों का आयोजन रोक दिया गया।