इंदौर| इंदौर हाईकोर्ट ने NEET-UG परीक्षा के दौरान बिजली गुल होने से प्रभावित 75 से अधिक छात्रों द्वारा दायर पुनः परीक्षा की मांग वाली याचिकाएं सोमवार को खारिज कर दीं। अदालत ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की रिट अपील स्वीकार करते हुए अपना फैसला सुनाया, जिसके बाद NTA ने शाम 6 बजे उन छात्रों का परिणाम घोषित कर दिया जिनके रिजल्ट पर पहले रोक लगी थी। यह सूचना सभी छात्रों को मेल के जरिए दी गई। अब NEET काउंसलिंग 21 जुलाई को संभावित है।

हालांकि, प्रभावित छात्र इस फैसले के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की तैयारी कर रहे हैं। याचिकाकर्ता छात्रों की ओर से वकील मृदुल भटनागर ने बताया कि हाईकोर्ट ने सख्त शब्दों में यह निर्देश भी दिए हैं कि भविष्य में ऐसी परीक्षाओं के दौरान बिजली बाधित होने की स्थिति में NTA और स्थानीय प्रशासन को वैकल्पिक व्यवस्था अनिवार्य रूप से करनी होगी।

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कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि NTA ने छात्रों के खिलाफ कोई निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ समिति की मदद से मामले की जांच कराई थी और समिति की सिफारिश पर पुनः परीक्षा की मांग को अस्वीकार कर दिया गया। इसी आधार पर कोर्ट ने पुनः परीक्षा को अनुचित मानते हुए रिट अपीलें मंजूर कर लीं।

वहीं, कई प्रभावित छात्रों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि बिजली कटौती की वजह से वे कई प्रश्न हल नहीं कर पाए और उनका स्कोर कम आया। कुछ छात्रों के परिजनों ने भी बताया कि केंद्रों पर रोशनी की व्यवस्था पर्याप्त नहीं थी और अगर पावर बैकअप होता तो परिणाम बेहतर हो सकता था।

इससे पहले, 10 जुलाई को हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। वकीलों ने तर्क दिया कि यदि इन छात्रों को दोबारा परीक्षा का मौका नहीं दिया गया तो उनका भविष्य प्रभावित होगा, जबकि NTA की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि परीक्षा में 22 लाख छात्र शामिल हुए थे और सभी केंद्रों पर आवश्यक व्यवस्था थी। उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ 75 छात्रों के लिए दोबारा परीक्षा कराना व्यावहारिक नहीं है।

छात्रों की ओर से यह भी दलील दी गई कि पिछले वर्ष 1543 छात्रों के लिए दोबारा परीक्षा आयोजित की गई थी, तो इस बार क्यों नहीं। वकीलों ने यह भी आरोप लगाया कि NTA द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कई तथ्यों को नजरअंदाज किया गया है और कुछ केंद्रों पर न जनरेटर थे और न ही पर्याप्त रोशनी।

एक दिलचस्प घटनाक्रम में हाईकोर्ट के जज ने सुनवाई के दौरान कोर्टरूम की लाइट बंद कराकर खुद प्रश्नपत्र देखा ताकि उस स्थिति को समझ सकें जिसमें छात्रों को परीक्षा देनी पड़ी थी। इसके बावजूद, कोर्ट ने माना कि छात्रों की गलती न होने के बावजूद वे असुविधा में थे, लेकिन यह दोबारा परीक्षा कराने का आधार नहीं बनता।

अंततः, कोर्ट ने NTA के पक्ष को स्वीकारते हुए सभी याचिकाएं खारिज कर दीं। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचेगा, जहां प्रभावित छात्र अपने भविष्य के लिए न्याय की आस में याचिका दायर करेंगे।