सागर। मध्य प्रदेश में गेहूं की कटाई के उपरांत नरवाई (फसल अवशेष) जलाने का ट्रेंड बढ़ गया है। हालांकि, इससे वातावरण पर हो रहे दुष्प्रभाव को लेकर प्रदेशभर में कार्रवाई भी की जा रही है। सागर जिले में खेत में खड़ी नरवाई जलाने वालों के खिलाफ प्रशासन सख्ती से कार्रवाई कर रहा है।
कलेक्टर के नरवाई जलाने पर प्रतिबंध लगाने और नियम का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश के बाद जिले में दोषियों पर कार्रवाई की जा रही है। प्रशासन ने नरवाई जलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए अब तक जिले में 35 एफआईआर दर्ज कराई हैं। जिसमें 27 नामजद और 8 अज्ञात किसानों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराए गए हैं।
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नरवाई की आग फैलने से आसपास के किसानों की फसलें जलने की घटनाएं जिले में सामने आई हैं। जिसके बाद प्रशासन एक्शन मोड़ में आया। कलेक्टर संदीप जीआर ने बताया कि नरवाई जलाने से पर्यावरण प्रदूषण होता है और फॉरेस्ट फायर या अग्नि दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है। किसानों को नरवाई नहीं जलाकर उसके विकल्प पर काम करने की जरूरत है।
कलेक्टर ने आगे कहा कि नरवाई जलाने पर जिले में प्रतिबंध लगाया गया है। ऐसे में जिले के सभी एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार को निर्देश दिए गए हैं कि वे लगातार ऐसी घटनाओं पर नजर रखें। यदि कोई नरवाई जलाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज कराई जाए।
शासन के निर्देश के अनुसार, जिला दंडाधिकारी किसानों को नरवाई नहीं जलाने के लिए नियमित समझाइश दें। समझाइश के बाद भी कोई नियमों का उल्लंघन करे तो उस पर आर्थिक दंड लगाने का प्रावधान है। यदि किसान का रकबा 2 एकड़ से कम है तो पर्यावरण क्षति पूर्ति राशि 2500, 2 एकड़ से 5 एकड़ होने पर 5000 और 5 एकड़ से अधिक होने पर 15000 रुपए पर्यावरण क्षति पूर्ति राशि वसूली जाएगी।