नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद अब निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता और चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता एक बार फिर सवालों के घेरे में है। इसी बीच अब सूचना मिली है कि चुनाव आयोग ने अपने वेबसाइट से चार राज्यों के वोटर लिस्ट हटा दिए हैं। इसे लेकर विपक्ष ने तीखे सवाल किए हैं।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बेंगलुरु में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि चुनाव आयोग मुझसे हलफनामा मांगता है। वो कहता है कि मुझे शपथ लेनी होगी। मैंने संसद में संविधान की शपथ ली है। आज जब देश की जनता हमारे डेटा को लेकर सवाल पूछ रही है तो चुनाव आयोग ने वेबसाइट ही बंद कर दी। चुनाव आयोग जानता है कि जनता उनसे सवाल पूछने लगी तो उनका पूरा ढांचा ढह जाएगा।
बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र, बिहार, मध्यप्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों की e-Voter List के पेज शुक्रवार सुबह अचानक down हो गए। इसे लेकर कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि ECI की पारदर्शिता की कवायद शुरू हो गई है। सुबह से महाराष्ट्र, बिहार, मध्यप्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों की e-Voter List के पेज down हो गए हैं।
बहरहाल, अब सवाल उठ रहे हैं कि वोटर लिस्ट के पेज डाउन होना सिर्फ़ तकनीकी समस्या है? या फिर लिस्ट ग़ायब करके कोई खेल चल रहा है? चूंकि अब निर्वाचन आयोग जैसी संस्था सवालों के घेरे में है और चुनाव प्रक्रिया से लोगों का भरोसा उठता जा रहा है। राहुल गांधी ने गुरुवार को ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मामले में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। इंडिया टुडे समूह के फैक्टचेक में भी पता चला कि राहुल गांधी के दावे सत्य हैं और एक कमरे में कई फर्जी वोटर रह रहे थे।
कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य गुरदीप सप्पल ने भी चुनाव आयोग की कार्यशैली को लेकर विस्तृत पोस्ट की है। उन्होंने कहा कि पहले चुनाव आयोग मांगने पर वोटर लिस्ट की जाँच में अड़चन नहीं डालता था। 2018 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने ही जाँच की थी। उसके बाद चुनाव आयोग ने 27 लाख नक़ली वोटर हटाए थे। लेकिन उसके बाद चुनाव आयोग ने encryption तकनीक का इस्तेमाल किया। इससे छपी हुई वोटर लिस्ट को अब डेटाबेस में बदलना असंभव हो गया है, इससे अब जाँच असंभव हो गई है। चुनाव आयोग ने ऐसा क्यों किया?
सप्पल ने कहा कि पहले कोई भी शिकायत कर्ता था या प्रमाण देता था, तो चुनाव आयोग गड़बड़ियों का संज्ञान के ले कर जाँच करता था। अब लिखित में देने पर भी नहीं करता। पहले चुनाव आयोग पारदर्शिता बढ़ाने के लिए CCTV जैसे कदम को प्रोत्साहन देता रहा है। अब वो CCTV फुटेज को 45 दिन में डिलीट करने का फैसला ले लेता है। चुनाव आयोग फाइनल वोटर लिस्ट देने से इंकार क्यों कर रहा है।supplementary list और additional supplementary list जो पार्टियों को नहीं मिलती, उसे देने से क्यों मना कर रहा है? उन्होंने कहा कि बात सिर्फ इतनी नहीं है कि गड़बड़ है। बात ये भी है की अब गड़बड़ की सुनवाई नहीं होती है।