भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित प्रदेश स्तरीय पंचायत कार्यशाला को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सवाल खड़े किए हैं। सिंह ने कहा कि भाजपा को 22 साल बाद पंचायत प्रतिनिधियों की याद आई है। उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकारों के मुद्दे पर सीएम मोहन यादव और पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रह्लाद पटेल को खुली बहस की चुनौती दी है।
मंगलवार को मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान सिंह ने कहा कि भाजपा को 22 साल बाद पंचायत प्रतिनिधियों को अधिकार देने की याद आई है। हमने सोचा था कि वे पंचायत प्रतिनिधियों को ऐसा अधिकार देंगे जिससे अधिकारी उनके नियंत्रण में आ सकें। लेकिन केवल एक ही घोषणा हुई है कि जिला परिषद और जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष जो शिक्षा समिति का अध्यक्ष है उनको जांच और निरीक्षण का अधिकार दिया है। उन्हें सिर्फ जांच करने का अधिकार दिया गया है, लेकिन निरीक्षण पर कार्रवाई का अधिकार अधिकारी के पास ही रहेगा।
सिंह ने आगे कहा कि मुझे सीएम मोहन यादव के मुकाबले पंचायत मंत्री प्रह्लाद पटेल से ज्यादा उम्मीद थी क्योंकि वे ग्रामीण परिवेश के हैं। पंचायत का जितना अनुभव प्रह्लाद पटेल को होगा उतना मोहन यादव को नहीं होगा। लेकिन मुझे इस बात का दुख है कि उनके कार्यकाल में भी खुलेआम प्रदेश स्तर पर कमीशनखोरी हो रही। जो पैसा सीधा पंचायत के पास जाना चाहिए वो नहीं जा रहा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि इससे पहले जो पंचायत मंत्री थे महेंद्र सिसोदिया उन्होंने सिस्टम बना रखा था कि "20 फीसदी दो और मंजूरी लो" वो आज भी कायम है। मेरे चुनाव क्षेत्र राजगढ़ के कई सरपंचों ने बताया कि उन्होंने एडवांस बुकिंग भी कर दी। 20 फीसदी कमीशन जमा भी कर दिए, लेकिन पैसा उन्हें नहीं मिला। उन्होंने सीएम मोहन और मंत्री पटेल से कहा कि कम से कम जिसने कमीशन दे दिया है उनका तो काम कर दीजिए।
सिंह ने कहा कि इससे ज्यादा इस सरकार से उम्मीद भी नहीं है। क्या वे पंचायत प्रतिनिधियों को शिक्षक नियुक्ति का अधिकार देंगे? आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नियुक्ति का अधिकार देंगे? सीएम इतना ही करें कि तृतीय श्रेणी में जो पंचायत विभाग में काम करते हैं या ग्रामीण विकास में काम करते हैं उनकी नियुक्ति का अधिकार देंगे? उन्होंने पूछा कि जिस धारा 40 का धौंस दिखाकर सरपंचों को पृथक करते हैं क्या उसे वापस लेंगे?
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सीएम मोहन बेकार की बात करते हैं। उन्होंने सीएम मोहन यादव और प्रह्लाद पटेल को बहस करने की खुली चुनौती दी है। साथ ही कहा कि भले वे भाजपा के ही पंचायत प्रतिनिधियों को साथ लेकर आएं। उन्होंने कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। जिला परिषद अध्यक्ष को गाड़ी और राज्यमंत्री का दर्जा है लेकिन राजगढ़ में जिला परिषद अध्यक्ष को एक कॉन्स्टेबल मंच पर चढ़ने से रोक देता है। ये आपका पंचायत प्रतिनिधियों के प्रति सम्मान है?