अंबाह। मध्यप्रदेश में उपचुनाव की तारीख जारी होने के बाद से राजनीतिक हल्कों में हलचल मची हुई है। मुरैना जिले की अंबाह विधानसभा की चुनावी जंग में एक किन्नर के चुनाव मैदान में उतरने से दोनों ही दलों में की मुश्किलें बढ़ गई है। 29 वर्षीय नेहा किन्नर 2018 के चुनाव में भी ताल ठोक चुकीं हैं जिसमें वह दूसरे स्थान पर रहीं थी। इस बार के उपचुनाव में वह जितने के मकसद से मैदान में आईं हैं। बता दें कि नेहा बेडिया समाज से हैं बेडिया समाज की अंबाह क्षेत्र में अच्छी खासी तादाद है। नेहा की उम्मीदवारी ने इस बार अंबाह मुकाबला को दिलचस्प बना दिया है।

नेहा ने शुक्रवार से अपना चुनावी अभियान शुरू कर दिया है। इस दौरान उन्होंने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि मैं इस बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अंबाह सीट से उपचुनाव लड़ने जा रही हूं। उन्होंने कहा, 'मैं अपने क्षेत्र में सामाजिक समरसता का माहौल बनाना चाहती हूं। मै गरीबों को सशक्त बनाना चाहती हूं और चाहती हूं कि सरकार द्वारा गरीबों के लिए चालू की गई विभिन्न योजनाओं का लाभ उनको मिले। जनता को सुविधाएं उपलब्ध कराना मेरी पहली प्राथमिकता होगी।'

गौरतलब है कि नेहा किन्नर जिस अंबाह विधानसभा से चुनाव मैदान में होंगी वह आरक्षित सीट है। इस विधानसभा सीट में वोटरों की कुल संख्या 196915 है। 2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से बसपा के सत्यप्रकाश ने 49574 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। दूसरे स्थान पर बीजेपी के बंशी लाल जाटव रहे थे। तीसरा स्थान कांग्रेस के अमर सिंह का रहा था। साल 2018 के चुनाव में भी नेहा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा भरा था जहां वह कांग्रेस प्रत्याशी कमलेश जाटव से मात्र 7547 मतों से हार गईं थी। उपचुनाव में इस बार उनके चुनाव लड़ने के एलान से बीजेपी को सीधा-सीधा नुकसान होता नजर आ रहा है।

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अंबाह विधानसभा से कांग्रेस ने सत्यपाल संखवार को अपना उम्मीदवार है। वहीं बीजेपी के संभावित उम्मीदवार के रूप में कमलेश जाटव मैदान में नजर आ सकते हैं। इसके अलावा बसपा ने भानुप्रताप संखवार को मैदान में उतारा है। बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में 5 किन्नर प्रदेश की अलग अलग सीट से  मैदान में थे जिसमें सबसे ज्यादा वोट नेहा किन्नर ने हासिल किये थे। नेहा पूरे अंबाह क्षेत्र में बहुत लोकप्रिय हैं। दिलचस्प बात यह है कि देश की पहली किन्नर विधायक मध्यप्रदेश से ही बनी थी।