उज्जैन। मध्य प्रदेश में मंडी शुल्क को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। यहां राज्य सरकार के खिलाफ व्यापारियों में गुस्सा देखने को मिल रहा है। क्योंकि जहां एक तरफ राज्य सरकार मंडी शुल्क घटाने की बात कह रही है वहीं दूसरी तरफ मंडी संचालकों का कहना है कि उन्हें सरकार की तरफ से इस बारे में अभी कोई आदेश नहीं मिला है। जिस वजह से जो मंडी शुल्क पहले था वही वसूला जाएगा।  इन सब के बीच व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

गौतलब है कि राज्य सरकार ने मंडी शुल्क 1.70 फीसदी से घटाकर 0.50 फीसदी करने का एलान किया था। जिसे 14 नवंबर से लागू किया जाना था। लेकिन अब तक सरकार की तरफ से मंडी शुल्क घटाने को लेकर कोई आदेश जारी नहीं हुआ है। जिस वजह से प्रदेश के व्यापारी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है सरकार ने वादा खिलाफी की है।

मंडी बोर्ड के प्रबंध संचालक संदीप यादव का कहना है कि अभी तक मंडी शुल्क को कम करने को लेकर सरकार की तरफ से कोई आदेश नहीं मिला है। इसलिए फिलहाल शुल्क 1.70 फीसदी ही लागू रहेगा। बता दें, नये कृषि कानून में कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) द्वारा संचालित मंडी की परिधि के बाहर कृषि उत्पादों की खरीद पर किसी प्रकार के शुल्क का प्रावधान नहीं है, जबकि मध्य प्रदेश में मंडी शुल्क 1.70 फीसदी था। जिसके बाद प्रदेश के व्यापारी मंडी शुल्क घटाकर 0.5 फीसदी करने की मांग को लेकर हडताल पर भी चले गए थे। जिसके बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस विषय पर चर्चा की और मंडी शुल्क कम करने की उनकी मांग को मान लिया।

सीएम के आश्वासन के बाद व्यापारियों ने अपनी हड़ताल खत्म कर दी। लेकिन मध्य प्रदेश में उपचुनाव को लेकर लगी आचार संहिता के चलते आदेश जारी नहीं हो सके। उपचुनाव भी हो गए और परिणाम आने के बाद आचार संहिता भी खत्म हो गई। लेकिन शिवराज सरकार की तरफ से मंडी शुल्क कम करने का आदेश अभी तक जारी नहीं किया गया है। जिस वजह से व्यापारियों में राज्य सरकार के खिलाफ गुस्सा है। सोशल मीडिया के जरिए व्यापारी एक बार फिर हड़ताल पर जाने का बात करे रहे हैं। हालांकि कृषि मंडी व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल ने इसे अफवाह बताया है।