भोपाल। मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा और लोकसभा उपचुनावों से पहले प्रदेश कांग्रेस को संगठनात्मक तौर पर मजबूती देने के लिए हाईकमान ने बड़ा फैसला लिया है। शीर्ष नेतृत्व ने इंदौर की अर्चना जायसवाल को महिला कांग्रेस की कमान सौंपने का ऐलान किया है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने नोटिस जारी कर बताया है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने जायसवाल के नाम पर सहमति जताई है।



राज्य में होने वाले उपचुनाव से पहले महिला कांग्रेस का नेतृत्व अर्चना जायसवाल को सौंपे जाने को बेहद अहम माना जा रहा है। अर्चना जायसवाल ने अध्यक्ष नियुक्त किए जाने पर केंद्रीय नेतृत्व का आभार जताते हुए कहा है कि वे महिला कांग्रेस को जमीनी स्तर पर मजबूत करेंगी। उन्होंने उम्मीद जताई है कि 2023 विधानसभा में एक बार फिर से कांग्रेस की वापसी होगी। 





अर्चना जायसवाल को महिला कांग्रेस की कमान सौंपने के पीछे उनके अनुभव को मुख्य वजह माना जा रहा है। उन्हें संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है। खास बात यह है कि वह पहले भी महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रह चुकी हैं और माना जाता है कि अपने करीब 5 साल के कार्यकाल में संगठन को मजबूती देने में उनका खासा योगदान रहा है।



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बताया जा रहा है कि अध्यक्ष पद के लिए अर्चना जायसवाल दिग्विजय सिंह और कमलनाथ दोनों की पसंद थीं, इसीलिए शीर्ष नेतृत्व ने भी उनके नाम पर सहमति जताई। अर्चना 2015 में इंदौर के महापौर के लिए कांग्रेस की उम्मीदवार भी रह चुकी हैं। हालांकि, इस दौरान बीजेपी की मालिनी गौड़ चुनाव जीतने में कामयाब हुईं थी।



दरअसल, महिला कांग्रेस अध्यक्ष का पद बीते तीन महीने से खाली था। संगठन की अध्यक्ष रहीं मांडवी चौहान का कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान 29 अप्रैल को निधन हो गया था। वह पिछले दो टर्म से महिला कांग्रेस की अध्यक्ष थीं। मांडवी चौहान ने अध्यक्ष बनने के बाद प्रदेशभर की महिलाओं को जोड़कर संगठन को काफी मजबूत बना लिया था। महिलाओं के बीच उनकी लोकप्रियता ऐसी थी कि उनके एक आह्वान पर सैंकड़ों महिलाएं सड़कों पर आ जाती थी। चौहान का निधन कांग्रेस के लिए अपूरणीय क्षति रहा था।