कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्‍यक्ष अरुण यादव ने श्रम कानूनों में बदलाव पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि प्रदेश की वर्तमान आर्थिक स्थिति को देखते हुए उद्योग जगत की मदद करना वाजिब है, लेकिन उनकी मदद में प्रदेश सरकार ऐसे फैसले भी ना लें जिससे आने वाले समय में हमारे मजदूरों को परेशानियों का सामना करना पड़े। फैक्ट्री एक्ट में किए जा रहा है बदलाव आने वाले दिनों में हमारे मजदूरों के लिए चुनौती साबित होंगे। ऐसे क्या हालात बन रहे हैं कि नए बदलाव के बाद मजदूर के हितों के लिए श्रम न्यायालय हस्तक्षेप नहीं कर सकेंगे!





 



यादव ने कहा कि मजदूरों के कल्याण के लिए उद्योगपतियों को प्रति मजदूर रुपए 80 नहीं देना चाहिए। ऐसी क्या मजबूरी है कि मध्य प्रदेश में नई फैक्ट्री खोलने के लिए सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी नियमों का पालन नहीं करने की छूट दी जा रही है। ठेका श्रमिक अधिनियम 1970 ढील देने की स्थिति तो नहीं है फिलहाल प्रदेश में। क्या प्रदेश के उद्योगपति 8 घंटे के बदले 12 घंटे काम करा कर मजदूरों को उनके पसीने की पूरी कीमत चुकाएंगे। प्रदेश के लाखों मजदूर आपसे जवाब चाहते हैं मुख्यमंत्री जी।