कटनी। कटनी जिले के बाकल में बुधवार देर रात उस समय हालात बिगड़ गए जब युवक की पिटाई के मामले को लेकर उपजे तनाव ने हिंसक रूप ले लिया। गुस्साई भीड़ ने बाकल थाने पर हमला कर दिया। जिसमें दो पुलिसकर्मी घायल हो गए। प्रधान आरक्षक कृष्ण कुमार शुक्ला की हालत गंभीर बताई जा रही है। पुलिस ने पांच लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
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पुलिस के अनुसार, घटना की शुरुआत 19 अक्टूबर से हुई थी जब कुणाल सिंह राजपूत नाम के युवक के साथ असीम खान और अमिल खान ने कथित रूप से अपहरण कर मारपीट की थी। आरोप है कि दोनों ने कुणाल को अज्ञात स्थान पर ले जाकर बेरहमी से पीटा, सिगरेट से जलाया और उसका मोबाइल फोन छीन लिया था। इस मामले में पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था।
घटना के विरोध में बुधवार को करणी सेना और अन्य हिंदू संगठनों ने बाकल में उग्र प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने बाकल थाने का घेराव किया और बस स्टैंड पर चक्का जाम भी किया। उन्होंने थाना प्रभारी रश्मि सोनकर को बर्खास्त करने की मांग करते हुए नारेबाजी की। स्थिति को संभालने के लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मौके पर पहुंचे और बातचीत के बाद प्रदर्शन समाप्त किया गया।
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हालांकि, रात करीब 10 बजे हालात फिर बिगड़ गए। प्रदर्शन समाप्त होने के कुछ देर बाद ही भीड़ का एक समूह दोबारा थाने पहुंचा और पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया। इस दौरान प्रधान आरक्षक कृष्ण कुमार शुक्ला और आरक्षक अवधेश मिश्रा घायल हो गए। जिसके बाद दोनों को फौरन अस्पताल ले जाया गया। फिलहाल शुक्ला की हालत गंभीर बताई जा रही है।
थाने पर हमले के बाद बाकल में देर रात भारी तनाव की स्थिति बन गई। पुलिस ने तत्काल अतिरिक्त बल बुलाकर इलाके में कड़ी सुरक्षा तैनात कर दी। वरिष्ठ अधिकारियों ने देर रात मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है लेकिन इलाके में एहतियातन पुलिस बल तैनात है।
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अधिकारियों के मुताबिक, गिरफ्तारियों के बावजूद कुछ लोगों ने स्थिति का गलत फायदा उठाने की कोशिश की और स्थानीय युवाओं को भड़काया और थाने पर हमला किया। पुलिस अब इस पूरे मामले की जांच कर रही है कि आखिर हिंसा के पीछे असली साजिशकर्ता कौन हैं।
पुलिस ने आश्वासन दिया है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और कानून-व्यवस्था से समझौता नहीं किया जाएगा। बाकल और आसपास के क्षेत्रों में फिलहाल चौकसी बढ़ा दी गई है ताकि किसी भी प्रकार की अफवाह या दोबारा हिंसा की संभावना को रोका जा सके।
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