ग्वालियर। मध्य प्रदेश में नगर निकाय चुनावों का बिगुल बज चुका है। कांग्रेस ने इसे लेकर अपनी तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। कांग्रेस ने नगर निकाय चुनावों को लेकर अपनी शुरुआती बैठक में यह निर्णय लिया है कि पार्टी के साथ दगा करने वालों को टिकट नहीं दिया जाएगा।

ग्वालियर में शुक्रवार को हुई कांग्रेस की बैठक में यह तय किया गया है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने वाले किसी भी नेता को पार्षद का टिकट नहीं दिया जाएगा। इसके साथ ही ऐसे नेता जो पार्टी छोड़कर बीजेपी या अन्य पार्टी में गए और फिर कांग्रेस में वापसी कर ली उन्हें भी टिकट नहीं देने का निर्णय लिया गया है। इतना ही नहीं, कांग्रेस ने ऐसे नेताओं को भी टिकट नहीं देने का फैसला किया है, जिनके रिश्तेदार कांग्रेस की जगह सिंधिया से वफादारी निभाने के चलते बीजेपी में शामिल हो गए हैं। 

क्या होगी कांग्रेस का टिकट देने की प्रक्रिया 

कांग्रेस की बैठक में यह तय किया गया है कि हर वॉर्ड में कांग्रेस के कम से कम दो प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे। जो दावेदारों से चर्चा करेंगे। इसके बाद पार्टी को इन दावेदारों की सूची दी जाएगी। उसके बाद ही कांग्रेस उम्मीदवारी के नाम पर कोई अंतिम निर्णय लेगी। बता दें कि पहले हाथों से सत्ता में छिटकने और उपचुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस किसी तरह का रिस्क लेने के मूड में नहीं है। कांग्रेस नगर निकाय चुनावों को प्रदेश में होने वाले अगले विधानसभा चुनावों से पहले सेमीफाइनल के तौर पर देखी रही है। 

वहीं, बीजेपी में मंडल स्तर पर पदाधिकारियों से चर्चा के बाद दावेदारों के नाम पर चर्चा होगी और उसके बाद पैनल बनाया जाएगा। इस पर पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश नेतृत्व निर्णय लेगा। स्थानीय संगठन के पास अब तक प्रदेश नेतृत्व से कोई कार्यक्रम नहीं हुआ। इस वजह से कोई बैठक नहीं हुई है। अगले कुछ दिनों में ये कार्यक्रम आएगा और उसके बाद बैठक व मंडल स्तर पर चर्चा के कार्यक्रम शुरू होंगे।