भोपाल। मध्य प्रदेश के रतलाम में पदस्थ पुलिस की एक महिला आरक्षक अब पुरुष बनेंगी। दो वर्ष पहले उन्होंने पुलिस मुख्यालय से लिंग परिवर्तन करने की अनुमति मांगी थी। इस संबंध में राज्य सरकार ने सोमवार को आदेश जारी कर महिला कांस्टेबल को लिंग परिवर्तन की अनुमति दी है। प्रदेश में जेंडर बदलने संबंधित कोई स्पष्ट नियम नहीं होने के कारण गृह विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर विधि विभाग के अभिमत के बाद जेंडर बदलने की अनुमति दी है। पुरुष बनने के साथ ही उन्हें महिला पुलिसकर्मी के तौर पर शासन से मिलने वाली सभी सुविधाएं अब नहीं दी जाएंगी। 

गृह विभाग की तरफ से जारी आदेश में बताया कि महिला आरक्षक को बचपन से ही जेंडर आईडेंटिटी डिसऑर्डर है। इसकी पुष्टि दिल्ली के एक मनोचिकित्सक डॉ. राजीव शर्मा के द्वारा की गई है। उन्होंने ही महिला कांस्टेबल को जेंडर परिवर्तन करने की सलाह दी थी। इसके बाद उन्होंने 2021-22 में जेंडर परिवर्तन को लेकर विभाग को शपथ पत्र के साथ आवेदन दिया था। पुलिस मुख्यालय ने प्रस्ताव को शासन के पास भेजा। शासन ने विधि विभाग से अभिमत लेकर महिला कांस्टेबल को लिंग परिवर्तन की अनुमति दे दी।

गृह विभाग के आदेश के बाद रतलाम की महिला कांस्टेबल दीपिका अब सर्जरी के माध्यम से अपना जेंडर कर सकती हैं। मध्य प्रदेश में यह पहला मामला नहीं  जब किसी महिला कांस्टेबल ने अपना जेंडर बदलने की अनुमती ली है। इसके पहले भी 2021 में पहली बार निवाड़ी में पदस्थ एक महिला कॉन्स्टेबल ने  ने 2019 में जेंडर बदलने के लिए आवेदन दिया था जिसे 2021 में गृह विभाग ने अनुमति प्रदान की थी।

बता दें जेंडर आइडेंटिटी डिसआर्डर में कोई व्यक्ति प्राकृतिक रूप से अपने जेंडर के प्रति सहज नहीं हो पाता है। उसके भाव और क्रियाकलाप अपने जेंडर की तरह न होकर विपरीत जेंडर की तरह होते हैं। यह कोई बीमारी नहीं है, इसलिए इसका कोई उपचार भी नहीं है। लिंग परिवर्तन कराना ही इसका एकमात्र विकल्प है। कई बार समाज के दबाव में आकर इसे मान्यता नहीं देते, जिससे व्यक्ति अवसाद में आकर आत्महत्या जैसे कदम उठा लेता है।