भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण बेक़ाबू हो गया है। कोरोना की चपेट में बच्चे, बुजुर्ग, जवान सभी आ रहे हैं। पद्मश्री कथाकार मंजूर एहतेशाम का बीती रात निधन हो गया। उन्हें करीब एक हफ्ते पहले कोरोना हो गया था। भोपाल के रहने वाले मंजूर एहतेशाम को पद्मश्री सहित अनेक पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। परिजनों ने बताया कि वे  लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनकी पत्नी सरवर हुसैन का निधन बीते साल हो गया था। उनके निधन पर साहित्य जगत में शोक की लहर है। 


मंजूर एहतेशाम मशहूर कथाकार रहे। उनका जन्म 3 अप्रैल, 1948 को भोपाल में हुआ था। घरवाले चाहते थे कि वे इंजीनियर बनें, पर उन्हें बनना था लेखक। सो इंजीनियरिंग की पढ़ाई अधूरी छूट गई। पहले दवा बेचने का काम किया और फिर फ़र्नीचर बेचने लगे। बाद में इंटीरियर डेकोर का भी काम करने लगे। पर लेखन हर दौर में जारी रहा।

उनकी पहली कहानी 'रमज़ान में मौत' साल 1973 में प्रकाशित हुई थी। वहीं पहला उपन्यास 'कुछ दिन और' सन 1976 में प्रकाशित हुआ। लेखन के चलते वह वागीश्वरी पुरस्कार, पहल सम्मान और पद्मश्री से अलंकृत हो चुके हैं। इनकी पहली कहानी "रमजान में मौत" का नाम इनके दोस्त और जाने-माने साहित्यकार दुष्यंत कुमार ने दिया था। सूखा बरगद, दास्ताने लापता, बशारत मंज़िल, पहर ढलते इनके प्रमुख उपन्यास हैं। वहीं तसबीह, तमाशा, सहित अनेक कहानियों लिखी है। साल 2003 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से अलंकृत किया गया। इसी के साथ उन्हें श्रीकांत वर्मा स्मृति सम्मान, भारतीय भाषा परिषद कोलकाता का सम्मान, मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन का बागीश्वरी पुरस्कार सहित साहित्य के क्षेत्र में अनेकों सम्मान मिले हैं।


गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण लगातार भयावह होता जा रहा है। पिछले 24 घंटे में 12,686 नए कोरोना संक्रमित मरीज़ मिले हैं। इस दाैरान 88 मरीजों की मौत भी हुई। पिछले सप्ताह संक्रमण फैलने की गति कम होने के बजाय बढ़ी है। 19 से 25 अप्रैल के बीच 91,010 संक्रमित मिले। सैंपल टेस्ट 4 हजार घटने के बाद भी यह स्थिति है। यही वजह है कि सरकार ने भोपाल सहित राज्य के 7 शहरों में कोरोना कर्फ्यू को 3 मई की सुबह 6 बजे तक बढ़ाने का फैसला किया है। इन सभी शहरों में पाबंदियां पहले की तरह जारी रहेंगी।