सीहोर। किसानों की आत्महत्या के मामले में देश में चौथे नंबर के राज्य मध्यप्रदेश में एक और किसान ने जान दे दी है। राजधानी भोपाल से 50 किलोमीटर से भी कम दूरी पर बसे सीहोर ज़िले के गुड़भेला गांव में किसान बाबूलाल वर्मा ने खेत में ही फांसी लगा ली। कहा जा रहा है कि किसान अपनी सोयाबीन की फसल खराब हो जाने के दर्द को बर्दाश्त नहीं कर सके। गांव के एक युवक ने बताया कि बाबूलाल कई दिनों से सोयाबीन के खेत में भरे बाढ़ के पानी को ग़मज़दा से देखते रहते थे। फिर अचानक बुधवार की सुबह उसी खेत में जाकर फांसी लगा ली, जिस खेत में उन्होंने बड़ी मेहनत से सोयाबीन लगाया था।



बाबूलाल के खेत में बाढ़ का पानी भर गया था। लगभग दो-दो फीट पानी..जिससे पौधे जमीन छोड़कर जड़ सहित बाहर आ रहे थे। क्योंकि इससे पहले 32 दिनों तक बारिश नहीं हुई। तो लगा कि सूखा पड़ेगा और अचनाक बाढ़ से खेत खेत उबर गए। बाबूलाल की उम्र 55 साल की थी। निश्चय ही इस उम्र तक उन्होंने अनेक उतार चढ़ाव देखे होंगे, लेकिन इस बार का नुकसान वो बर्दाश्त नहीं कर पाए।



दरअसल इस साल पूरे सीहोर जिले में लगभग 80 फीसदी सोयाबीन की फसल खराब हुई है। इलाके में शायद ही कोई किसान होगा जिसकी फसल सलामत होगी। बाढ़ और बारिश इसकी मुख्य वजह रही लेकिन नकली बीज और वायरस, स्थानीय लोग जिसे इल्लियां कह रहे हैं, ने भी सोयाबीन की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया था। गांव के किसान बताते हैं कि सोयाबीन की फसल की लागत बहुत ज्यादा है। प्रति एकड़ सोयाबीन की खेती का खर्चा लगभग 20-25 हज़ार आया था।   



एक समय सोयाबीन को मध्यप्रदेश का सबसे सफल कैश क्रॉप माना जाता रहा है। किसानों के लिए सोना उगलनेवाले फसल के रूप में इसकी पहचान रही। लेकिन इस साल पूरे प्रदेश में किसान सोयाबीन की फसल बर्बाद होने से परेशान हैं। लेकिन बाबूलाल इस हाल से इस कदर नाउम्मीद हुए कि फांसी लगाकर अपनी जीवनलीला ही समाप्त कर ली। 



संकट की इस घड़ी में सिर्फ कोरे भाषण परोसे जा रहे हैं: कमल नाथ 



सीहोर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह जिला है। पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने कहा है कि आज आपदा के समय में किसानों को तात्कालिक राहत की ज़रूरत है। लेकिन संकट की इस घड़ी में भी उन्हें सिर्फ झूठे और कोरे भाषण परोसे जा रहे हैं। कमल नाथ ने ट्वीट किया है कि मुख्यमंत्री घूम-घूमकर निरीक्षण कर रहे हैं। लेकिन साथ में थमा रहे हैं कोरे आश्वासन, राहत नहीं। आज किसान राहत की माँग कर रहा है, बाढ़ प्रभावित इलाक़ों के लोग राहत की माँग कर रहे हैं। जबकि आज आवश्यकता है तात्कालिक राहत की।





 



कर्जमाफी की प्रक्रिया शुरू करें मुख्यमंत्री : जयवर्धन सिंह 



प्रदेश की पूर्ववर्ती कमल नाथ सरकार में मंत्री रहे जयवर्धन सिंह ने कहा है कि मुख्यमंत्री को हवाई यात्रा का लुत्फ़ उठाने और फोटो सेशन पर ध्यान देने की बनिस्बत किसानों की क़र्ज़ माफ़ी की प्रक्रिया वापस शुरू करनी चाहिए।





कांग्रेस के एक और नेता ओमकार मरकाम ने ट्वीटकर आरोप लगाया है कि शिवराज सरकार के आतेही किसान आत्महत्याएं फिर शुरू हो गई हैं। मरकाम ने मांग की है कि सरकार पीड़ित परिवार को 1 करोड़ की मुआवज़ा राशि दे।



प्रदेश में भारी वर्षा के कारण बहुत बड़े स्तर पर फसलें बर्बाद हुई हैं। किसान नुकसान से परेशान हैं। खुद मुख्यमंत्री ने कहा है कि बारिश और बाढ़ से हुई धान की फसल के नुकसान का सर्वे कराकर मैं भरपाई करूंगा। राज्य सरकार का अनुमान है कि प्रदेशभर में भारी बारिश की वजह से तकरीबन 7 लाख हेक्टेयर तक की फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। मगर अब तक किसानों को कोई राहत नहीं मिली है और अब उनका धैर्य छूट रहा है। गौरतलब है कि किसानों के लिए पिछली सरकार ने जो मुआवज़ा बांटने की पहल की थी, उसे खुद कृषि मंत्री ने पाप करार दिया था।