उज्जैन। मध्य प्रदेश में साल 2028 में आयोजित होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ को लेकर तैयारियां जोरों पर है। राज्य सरकार सिंहस्थ मेला क्षेत्र में स्थाई निर्माण के लिए 2378 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण करना चाहती है। हालांकि, किसानों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह किसी भी हाल में स्थाई निर्माण के लिए जमीन नहीं देंगे। इसे लेकर बीते दिनों अखाड़ा परिषद की बैठक भी हुई, लेकिन यह बेनतीजा रही।
रिपोर्ट्स के मुताबिक स्प्रिचुअल सिटी के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए स्थानीय अखाड़ा परिषद ने मध्यस्थता कर अफसरों और किसानों की संयुक्त बैठक बुलाई थी। इसमें वरिष्ठ अफसरों ने 40 मिनट तक भूमि अधिग्रहण के फायदे गिनाए लेकिन किसानों ने दो टूक कह दिया कि हम जमीन नहीं देंगे। बैठक में शामिल 200 से अधिक किसानों ने यह तर्क दिया कि सिंहस्थ मेला परंपरागत स्वरूप में आयोजित हो।
यह भी पढ़ें: मंदसौर गोलीकांड पर MP सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, चार हफ्ते में मांगा जवाब
अधिग्रहण को लेकर स्थानीय अखाड़ा परिषद ने शनिवार को शिप्रा तट पर स्थित नया उदासीन अखाड़े में बैठक बुलाई थी। इसमें 13 अखाड़ों के साधु-संत, 200 से ज्यादा किसान और अधिकारी शामिल हुए। उज्जैन विकास प्राधिकरण यानि यूडीए की तरफ से दलीलें सुनने के बाद किसानों ने जमीन देने से साफ इनकार कर दिया।
बैठक में उज्जैन विकास प्राधिकरण सीईओ संदीप सोनी ने करीब 40 मिनट तक जमीन अधिग्रहण से होने वाले फायदे बताए। उनकी बातें सुनने के बाद अधिकतर किसानों ने स्पष्ट कहा, वे जमीन देने को तैयार नहीं है। किसानों ने कहा कि सिंहस्थ मेला पूर्व की तरह परंपरागत लगाया जाए। वे अस्थाई पंडालों के लिए जमीन दे सकते हैं। लेकिन उनकी जमीनों पर स्थाई निर्माण उन्हें किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं।
किसानों की ओर से एडवोकेट अर्पित वर्मा, राहुल शर्मा, आशुतोष उपाध्याय, सुरेंद्र चतुर्वेदी, ललित मीणा आदि उपस्थित रहे। किसानों ने कहा कि अगर लैंड पूलिंग योजना को जबरन लागू किया गया तो इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा। किसानों के साथ अधिकारियों की हुई बैठक को लेकर स्थानीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रामेश्वरदास का कहना है, किसानों को यह भ्रम है कि साधु-संत जमीन छिनवा रहे हैं।
बैठक में संतों ने कहा कि उन्हें जमीन की जरूरत नहीं है, सभी 13 अखाड़ों के पास जमीन है। सिंहस्थ मेला में शासन जहां जमीन उपलब्ध करवाएगा, वहां अखाड़े लगा लेंगे। किसानों को ही फैसला लेना है कि उन्हें जमीन को लेकर क्या करना है। बता दें कि बीजेपी विधायक चिंतामणि मालवीय ने पिछले हफ्ते विधानसभा में भी यह मुद्दा उठाया था। हालांकि, किसानों के समर्थन में बात करना उन्हें भारी पड़ गया। बीजेपी ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया है। वहीं, मालवीय ने भी स्पष्ट कहा है कि वे अपने बात पर कायम हैं और माफी नहीं मांगेंगे।