मंदसौर गोलीकांड पर MP सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, चार हफ्ते में मांगा जवाब

6 जून 2017 को मंदसौर के पिपलिया मंडी में MSP व अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस ने गोलीबारी की थी। जिसमें पांच किसानों का निधन हो गया था।

Updated: Mar 25, 2025, 01:52 PM IST

भोपाल। मंदसौर गोलीकांड की दुर्भाग्यपूर्ण घटना को लेकर एक बार फिर मध्य प्रदेश सरकार घिरती नजर आ रही है। कांग्रेस नेता पारस सकलेचा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार से चार हफ्ते के भीतर जवाब तलब किया है।

दरअसल, 6 जून 2017 को मंदसौर के पिपलिया मंडी में MSP व अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस ने गोलीबारी की थी। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में पांच किसानों का निधन हो गया था। तब शिवराज सिंह चौहान राज्य के मुख्यमंत्री थे। पांच किसानों की इस बर्बर हत्या पर न तो उन्होंने इस्तीफा दिया और न ही किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई।

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गोलीकांड की सीबीआई जांच कराने और जिम्मेदार अधिकारियों पर प्रकरण दर्ज करने की मांग को अनुसना कर दिया गया था। तत्कालीन शिवराज सरकार द्वारा जांच के लिए जैन आयोग का गठन किया गया। जैन आयोग ने अपनी रिपोर्ट 13 जून 2018 को राज्य शासन को पेश की थी। लेकिन इस रिपोर्ट को भी आजतक सार्वजनिक नहीं की गई।

इसे लेकर पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में पिटीशन लगाई थी। सकलेचा ने 3 मई 2022 को पेश कर उच्च न्यायालय से सरकार को जैन आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई कर विधानसभा के पटल पर रखने का अनुरोध किया। पारस सकलेचा ने न्यायालय से कहा कि जांच आयोग अधिनियम 1952 की धारा 3(4) के तहत जांच आयोग की रिपोर्ट मिलने के 6 महीनों के अंदर उस पर कार्रवाई कर विधानसभा के पटल पर रखना शासन का दायित्व है।

पारस सकलेचा की पिटीशन को उच्च न्यायालय इंदौर के न्यायाधीश विवेक रूसिया और बिनोद कुमार द्विवेदी‌ ने 14 अक्टूबर 2024 को खारिज करते‌ हुए कहा कि घटना को 6-7 साल हो जाने पर उसकी रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखने का कोई आधार नजर नहीं आ रहा है । उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ पारस सकलेचा ने 8 जनवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। जहां सीनियर एडवोकेट विवेक तन्खा और सर्वम रितम खरे के तर्क सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है।