भोपाल। मध्य प्रदेश में 5जी का इस्तेमाल कर साइबर अपराधी लाखों की ठगी और हैकिंग कर रहे हैं, लेकिन उन्हें पकड़ने और अपने मातहतों तक सूचना पहुंचाने के लिए पुलिस के 79,410 जवान सीयूजी सिमकार्ड में 2जी और 3जी नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं। यही नहीं, उज्जैन, विदिशा, आलीराजपुर और श्योपुर जिलों की कुछ चौकियाें में बीएसएनएल का नेटवर्क तक नहीं मिलता। 

2009 में पुलिस ने बीएसएनएल के 9,410 सिमकार्ड जिलों में पदस्थ अफसरों (एसआई तक) को दिए थे।
इसके बाद 2014 से करीब हर पुलिसकर्मी को एक-एक सीयूजी सिम दिया गया। मकसद था थाना स्टाफ भले बदलता रहे, पर उस पद के अधिकारी-कर्मचारी का नंबर नहीं बदलना चाहिए। एक एसआई ने बताया कि ज्यादा दिक्कत तब आती है, जब बड़ी फाइल जल्दी संबंधित अफसर या कर्मचारी को भेजनी हो, लेकिन 2जी-3जी नेटवर्क होने के कारण डेटा ट्रांसफर नहीं हो पाता।

3 साल में राज्य सायबर पुलिस के पास सायबर फ्रॉड से जुड़ी 5 हजार से ज्यादा शिकायतें पहुंची हैं। साइबर पुलिस केवल 1 लाख से ज्यादा रकम के सायबर फ्रॉड की जांच करती है। तीन साल के विश्लेषण में सामने आया कि जालसाज अब तक करीब 97 करोड़ रुपए के सायबर फ्रॉड कर चुके हैं।

वर्तमान में 79 रु. प्रतिमाह हर सिमकार्ड के हिसाब से दर तय है। इसके एवज में हर महीने पुलिस की दूरसंचार शाखा बीएसएनएल को 58 लाख रुपए अदा करती है। लेकिन दिक्कत यह है कि बीएसएनएल इसमें 2जी-3जी नेटवर्क ही देता है। नियम यह है कि सीयूजी सिमकार्ड वाले फोन से ही पुलिसकर्मी को सरकारी दस्तावेज आगे बढ़ाना है।