विदिशा। मध्य प्रदेश के विदिशा जिले से एक दर्दनाक तस्वीर सामने आई है। इस खबर ने प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत उजागर कर दी है। टीला खेड़ी रोड पर रहने वाले बुजुर्ग सुरेश सहरिया अपनी गंभीर रूप से बीमार पत्नी गंगाबाई को इलाज के लिए एम्बुलेंस, ऑटो या रिक्शा न मिलने पर एक पुराने ठेले पर बैठाकर ले जाते दिखाई दिए। यह सफर खरीफाटक रोड स्थित एक निजी डॉक्टर तक करीब चार किलोमीटर लंबा था जो आर्थिक तंगी से जूझ रहे इस परिवार के लिए किसी संघर्ष से कम नहीं थी।
सुरेश सहरिया वही ठेला रोजी-रोटी कमाने के लिए भी इस्तेमाल करते रहे हैं। कभी इसी ठेले पर सब्जियां ढोई जाती थीं लेकिन आज यही ठेला उनकी पत्नी की आखिरी उम्मीद बना हुआ है। उनकी पत्नी गंगाबाई चलने-फिरने में असमर्थ हैं और उनकी तबीयत अक्सर बिगड़ जाती है। उन्होंने बताया कि इलाज और आने-जाने के लिए पैसे नहीं होने की वजह से उन्हें इसी तरह ठेले पर बैठाकर डॉक्टर के पास ले जाया जाता है। सुरेश का कहना है कि जिला अस्पताल में कोई देखने वाला नहीं मिलता और अकेले पत्नी को संभालना मुश्किल हो जाता है। इन्हीं चीजों से मजबूर होकर उन्हें निजी डॉक्टर के पास जाना पड़ता है। और वहां जाने के लिए जब ऑटो के पैसे नहीं होते तो ठेला ही उनका सहारा बन जाता है।
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घटना ने जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था और सरकारी दावों की पोल खोल कर रख दी है। सवाल यह है कि जब सरकारी अस्पताल मौजूद हैं और योजनाओं के बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं तो फिर एक बुजुर्ग को अपनी पत्नी को ठेले पर ढोने की नौबत क्यों आती है? यह तस्वीर एक ऐसी सच्चाई दिखाती है जिसे देखकर साफ समझ आता है कि सिस्टम कागजों में तो मजबूत है लेकिन जमीन हकीकत बेहद कमजोर है।
विदिशा के सीएमएचओ डॉ. रामहित कुमार ने कहा कि जानकारी मिलते ही टीम वहां भेजी गई। उनका कहना है कि दंपती बुजुर्ग है इसलिए संभवतः वे एम्बुलेंस के लिए संपर्क नहीं कर पाए होंगे। उन्होंने दावा किया कि अगर एम्बुलेंस के लिए संपर्क किया जाता तो उसे उपलब्ध कराया जाता। अब देखना होगा कि क्या ये मामला प्रशासन की नींद तोड़ पाएगा या नहीं।
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