इंदौर। एमवाय अस्पताल में एक एक बाद एक शवों के मिलने का सिलसिला जारी है। प्रदेश के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल की मर्चुरी में रखे शवों के किस्से खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। पीथमपुर से आया एक कोरोना मरीज एमटीएच अस्पताल में भर्ती था, जहां 9 दिन पहले उसकी मौत हो गई थी। अस्पताल प्रबंधन ने उसके शव को एमवाय अस्पताल की मर्चुरी में रखवा दिया। इस शख्स की मौत की खबर न तो उसके परिजनों को दी गई और ना ही पुलिस को। चार दिनों में तीसरी बार अस्पताल में शवों के पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार को लेकर गंभीर लापरवाही उजागर हुई है।

पिछले दिनों अस्पताल की मर्चुरी से कंकाल और 6 महीने के बच्चे की लाश बाक्स में मिलने की जांच पूरी भी नहीं हो पाई थी कि एक और लापरवाही उजागर हुई है। जिसके बाद एमवाय अस्पताल प्रबंधन पर सवाल खड़े होने लगे हैं।

पीथमपुर से कोरोना का इलाज कराने आया था मरीज

दरअसल 6 सितंबर को पीथमपुर के बोर्ड कॉलोनी निवासी 54 वर्षीय तानाजी को इंदौर के एमटीएच अस्पताल में कोरोना इलाज के लिए भर्ती किया गया था। जहां इलाज के दौरान 9 सितंबर को तानाजी की मृत्यु हो गई। जिसके बाद एमटीएच प्रबंधन ने शव को पन्नी में लपेटकर एमवाय अस्पताल की मर्चुरी भेज दिया। जबकि एमटीएच अस्पताल प्रबंधन को तानाजी के परिजनों को सूचित करना चाहिए था। जबकि ऐसा नहीं किया गया।

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मौत के 9 दिन बाद परिवार को किया सूचित

इनदिनों एमवाय अस्पताल में नरकंकाल मामले की जांच हो रही है। इस जांच के दौरान एमवाय अस्पताल की मर्चुरी से यह 9 दिन पुराना शव मिला है। अस्पताल की मर्चुरी से नरकंकाल केस में प्रशासनिक सख्ती के बाद यहां मौजूद हर शव के बारे में जांच की जा रही है। इसी दौरान पीथमपुर निवासी तानाजी के शव का खुलासा हुआ। जिसके बाद कोरोना संक्रमित तानाजी के परिजन को उनके मौत की खबर दी गई। मौत की सूचना पर अस्पताल आए परिवार का कहना है कि, उन्हे लगा कि एमटीएच में उनके पेशेंट का इलाज किया जा रहा है। लेकिन नौ दिन पहले ही उनका निधन हो गया। जिसकी जानकारी तक किसी ने नहीं दी। मरीज के परिवार ने अस्पताल में हंगामा किया और अस्पताल प्रबंधन को खरी खोटी सुनाई। और शव लेकर चले गए।

गौरतलब है कि एमवाय अस्पताल की मर्चुरी में लाशों की दुर्दशा के मामले में संभागायुक्त इंदौर डॉक्टर पवन शर्मा ने अपर आयुक्त आईएएस रजनी सिंह को जांच सौंपी थी। जांच रिपोर्ट के आधार पर संभागायुक्त डॉक्टर शर्मा ने दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। साथ ही भविष्य में ऐसी घटना की नहीं हो इसके लिए एक एसओपी भी निर्धारित की जा रही है।

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 अस्पताल में वक्त पर नहीं हो रहा शवों का डिस्पोजल

इस जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि एमवाय अस्पताल की मर्चुरी में अज्ञात शवों डिस्पोज़ल वक्त पर नहीं हो रहा है। मर्चुरी में जो शव कंकाल बन गया था, उसका तय समय में डिस्पोज़ल नहीं किया गया। इस बारे में संयोगिता गंज थाने के अन्वेषण अधिकारी मनीष सिंह गुर्जर, आरक्षक दीपक धाकड़ की लापरवाही उजागर हुई है। वहीं पीएम के पश्चात शव को मर्चुरी में ले जाने वाले वार्ड ब्वाय ने भी शव के डिस्पोज़ल के बारे में कोई कोशिश नहीं की। वहीं इस मामले में एमएलसी का प्रभार डॉक्टर दीपक पडसे के पास में था। जिसके तहत उन्हे डेड बॉडी रजिस्टर और एमएलसी की नियमित रूप से चेक करना था। लेकिन काम में लापरवाही की वजह से शव के रजिस्टर में अधूरी एंट्री और उसका डिस्पोज़ल नहीं होने की स्थिति बनी।

दोषी डाक्टर, पुलिसकर्मी पर हुआ एक्शन

डॉक्टर दीपक फाड़से पर काम में लापरवाही करने के बाद संभागायुक्त ने सभी दोषी अधिकारी, कर्मचारियों के ख़िलाफ़ जवाबदेही सुनिश्चित करने और अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। वहीं एमवाय अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर पीएस ठाकुर को शोकॉज नोटिस संभागायुक्त ने दिया है। अस्पताल की मर्चुरी में लापरवाही बरतने वाले चार वॉर्ड बॉय को निलंबित किया गया है। वहीं एमएलसी प्रभारी डॉक्टर दीपक फडसे की दो वेतन वृद्धि रोकने के लिए नोटिस जारी किया है। संभागायुक्त के पत्र के बाद इंदौर DIG हरी नारायणाचारी मिश्र ने प्राथमिक रूप से दोषी पाए गए सब इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया है।