जबलपुर। शिवराज सरकार में दल-बदलू पूर्व विधायकों को मंत्री बनाए जाने के मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच ने जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने इस सिलसिले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, विधानसभा अध्यक्ष और 14 मंत्रियों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने ये नोटिस उस याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया है, जिसमें 14 पूर्व विधायकों को मंत्री बनाने को संविधान के खिलाफ बताया गया है। 

शिवराज सरकार में 14 मंत्री ऐसे हैं जो विधायक नहीं हैं। छिंदवाड़ा की वकील आराधना भार्गव की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि शिवराज सरकार का यह कदम संविधान के अनुच्छेद 164 (4) का उल्लंघन है। 

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भार्गव ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, 'मध्य प्रदेश में संविधान को दरकिनार करके 14 मंत्रियों को शपथ दिला गई। प्रदेश शिवराज के अनुसार नहीं बल्कि, संविधान के अनुसार चलेगा। इसलिए जब संवैधानिक नियमों का उल्लंघन किया गया तो हमने हाईकोर्ट का सहारा लिया है। मामले की अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी। हालांकि, इसके पहले मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष समेत सभी 14 पूर्व विधायकों को जवाब देना होगा।

क्या कहता है अनुच्छेद 164 (4) 

संविधान के अनुच्छेद 164 (4) में यह साफ है कि यदि कोई व्यक्ति मंत्री बनाया जाता है, तो उसे सिर्फ 6 महीनों तक ही पद पर बने रहने का अधिकार है। अगर वह छः महीने के भीतर विधानसभा या विधानपरिषद सदस्य के रूप में निर्वाचित नहीं हो पाता है तो उसकी नियुक्ति अमान्य होगी। 

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बता दें कि आज ही शिवराज सरकार में दो मंत्री तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत ने इस्तीफा दे दिया है। उपचुनाव के पहले ही उनका छह महीना पूरा हो गया था। इनके अलावा जो बारह अन्य पूर्व विधायक मंत्री बनाए गए हैं उनमें एंदल सिंह कसाना, सुरेश धाकड़, बृजेन्द्र सिंह यादव, गिर्राज दंडौतिया, ओपीएस भदौरिया, प्रभुराम चौधरी, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, राजवर्धन सिंह दत्तिगांव, महेंद्र सिसोदिया, हरदीप डंग और बिसाहुलाल सिंह शामिल हैं।