भोपाल। मध्य प्रदेश में कोरोना संबंधी छूट देने के फैसले का पीसीसी चीफ कमल नाथ ने विरोध किया है। पूर्व सीएम ने राज्य सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि सरकार ने चरणबद्ध तरीके से छूट देने के बजाय एकदम से तमाम प्रतिबंध हटा लिए हैं, ऐसे में यदि कोई जनहानि होती है तो इसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा? पूर्व सीएम ने शिवराज सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि सरकार ने प्रदेश की जनता को अब भगवान भरोसे छोड़ दिया है।  



कमल नाथ ने भाजपा नेताओं पर तंज कसते हुए कहा कि कोरोना के लिए तमाम नियम भाजपा के नेताओं के लिए तो पहले से ही नहीं थे लेकिन अब जंबूरी मैदान में कार्यक्रम करने के बाद शिवराज सरकार ने आम जनता के लिए तमाम प्रतिबंध हटा दिए हैं। कमल नाथ इस निर्णय को जल्दबाज़ी में लिया हुआ निर्णय करार दिया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि ऐसे समय जब देश में 1,28,455 एक्टिव केस है, पिछले 24 घंटे में देश में 10 हज़ार से अधिक केस सामने आये है, तीसरी लहर को लेकर विश्व भर में आशंका व्यक्त की जा रही है, 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को अभी तक वैक्सीन लगी नही हैं,कई पात्र लोगों का अभी तक वैक्सिनेशन होना बाक़ी है, तब यह निर्णय लिया गया है।





पूर्व सीएम ने कहा कि सरकार को एकदम से तमाम प्रतिबंध हटाने की बजाय धीरे-धीरे, चरणबद्ध तरीक़े से प्रतिबंधों को शिथिल करते हुए छूट प्रदान करना थी।ऐसा लग रहा है कि सरकार ने जनता को अब भगवान भरोसे छोड़ दिया है, सरकार अपनी ज़िम्मेदारी से भाग रही है।क्या सरकार ने इस निर्णय के पूर्व कोरोना गाइडलाइन के पालन की सम्पूर्ण व्यवस्था कर ली है?सरकार के इस निर्णय के बाद यदि संक्रमण बढ़ता है , जनहानि होती है तो क्या सरकार उसकी ज़िम्मेदारी लेगी।



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शिवराज सरकार ने मध्य प्रदेश में कोरोना संबंधित तमाम प्रतिबंध हटा लिए हैं। अब वैवाहिक कार्यक्रमों से सीमित संख्या का प्रावधान हटा लिया गया है, वहीं स्कूल, कॉलेज, कोचिंग सेंटर, सिनेमा हॉल इत्यादि पर से तमाम प्रतिबंध हटा लिए हैं। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच राज्य सरकार के इस फैसले से लोगों की चिंता बढ़ गई है।