भोपाल। बीते साल मार्च महीने में लॉकडाउन लगा दिया गया था।लॉकडाउन के बाद हजारों  मजदूरों की हादसे में मौत हुई।उसी समय महाराष्ट्र के औरंगाबाद में बड़ा हादसा हुआ था ,रेलवे की पटरी पर मालगाड़ी की चपेट में आ जाने से मध्यप्रदेश के 16 मजदूरों की जान चली गई थी।  उनके परिजनों को 10 महीने बाद भी डेथ सर्टिफिकेट तक नहीं मिला है। डेथ सर्टिफिकेट न होने के कारण बैंक और इंश्योरेंस के काम नहीं हो रहे हैं, न ही विधवाओं को पेंशन मिल रही है।

गौरतलब है कि पिछले साल कोविड संक्रमण के चलते अचानक लॉकडाउन लगने के बाद देश के कोने-कोने से लाखों प्रवासी मजदूरों को पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा था। इस दौरान बड़ी संख्या में मजदूरों की मौत भी हुई थी। ऐसी ही एक दिल दहलाने वाली घटना 8 मई को औरंगाबाद जिले में हुई थी जब 16 मजदूरों की रेलवे की पटरी पर मालगाड़ी की चपेट में आ जाने के चलते मौत हो गई थी।

ये सभी 16 मजदूर महाराष्ट्र के जालना में एक स्टील फैक्ट्री में काम करते थे। लॉकडाउन के चलते उनकी नौकरी चली गई थी। वो सरकार की ओर से चलाई गई श्रमिक स्पेशल ट्रेन से वापस अपने घर जाने वाले थे। उनकी ट्रेन छूट गई तो वे 7 मई को पैदल ही घर के लिए निकल गए। उस वक्त ट्रेनें न के बराबर चल रही थीं। ऐसे में वे रेलवे ट्रैक पर ही आराम करने लगे, लेकिन रात के अंधेरे में उनके ऊपर से एक मालगाड़ी गुजर गई थी।

मजदूरों की मौत होने के बाद पोस्टमार्टम करने बाद सभी मजदूरों के शव को विशेष रेल गाड़ी से उमरिया एवं शहडोल भेज दिया गया। मरने वालों में 11 शहडोल और 5 उमरिया जिले के थे। मध्य प्रदेश सरकार एवं महाराष्ट्र सरकार द्वारा दी गई राहत राशि परिजनों को मिल गई , लेकिन सभी मजदूरो के डेथ सर्टिफिकेट उनके परिजनों को आज तक नहीं मिले हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार  मृतक मजदूर दीपक सिंह की पत्नी चंद्रवती का कहना है कि मृत्यु प्रमाण पत्र ना होने की वजह से उन्हें विधवा पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है। सभी सरकारी कामों में मृत्यु प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है। मृतक बृजेश की पत्नी पार्वती सिंह का कहना है कि मृत्यु प्रमाण पत्र ना होने के कारण बैंक के काम नहीं हो पा रहे हैं और ना ही विधवा पेंशन उसे मिल पा रही है। रेल दुर्घटना में अपने दोनों बेटों बृजेश एवं शिवदयाल को खोने वाले गजराज सिंह ने बताया कि बैंक वाले कहते हैं कि मृत्यु प्रमाण पत्र लाओ तभी काम होगा।