जबलपुर। निजी स्कूलों द्वारा जबरन फीस वसूली मामले में सीबीएसई बोर्ड ने अपना जवाब दाखिल नहीं किया। मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस वीके शुक्ला की बेंच ने बोर्ड को आखिरी मोहलत देते हुए 24 अगस्त तक अपना जवाब देने के लिए कहा है। अदालत अब 24 अगस्त को मामले की सुनवाई करेगी। तब त तक अदालत द्वारा दी गई फीस नहीं भरने की छूट जारी रहेगी। फीस नहीं भरने पर स्कूल बच्चे का नाम नहीं काट सकेंगे।  

दरअसल 28 जुलाई को हुई पिछली सुनवाई में राज्य सरकार ने इस मामले पर अपना स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि सरकार ने फीस वसूली हेतु दो बार निजी स्कूलों को दिशानिर्देश जारी किए जिसमें ट्यूशन फीस के अलावा किसी भी अन्य फीस की वसूली पर रोक लगाने की बात कही थी। और साथ ही कक्षा पांचवीं तक के छात्रों की ऑनलाइन कक्षाओं पर रोक लगाने हेतु कहा गया था। राज्य सरकार का कहना था कि निजी स्कूलों ने सरकार की बात नहीं मानी और मनमानी फीस वसूली करना जारी रखा।  

इसके बाद कोर्ट ने सीबीएसई से इस मामले पर जवाब मांगा था। कोर्ट ने बोर्ड को आज यानी 10 अगस्त को जवाब दाखिल करने के लिए कहा था। जो कि सीबीएसई ने नहीं किया। लिहाज़ा कोर्ट ने अब सीबीएसई को ‍24 अगस्त तक अपना जवाब देने की अंतिम मोहलत दे दी है। 

क्या है मामला ? 
निजी स्कूलों की फीस की मनमानी को लेकर नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ पीजी नाजपाण्डे व रजत भार्गव की ओर से दायर जनहित याचिका में यह महा शिवरात्रि गया कि इंदौर हाईकोर्ट और जबलपुर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने निजी स्कूलो द्वारा फीस वसूली को लेकर दो अलग-अलग आदेश दिए हैं। इसके चलते विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न हो गई है । कई निजी स्कूल मनमानी फीस वसूल रहे हैं, जबकि कुछ सरकार के निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं।

जबलपुर हाई कोर्ट ने मामले में निजी स्कूलों के ट्यूशन फीस के अलावा किसी अन्य तरह की फीस वसूली पर रोक लगा दी थी। तो वहीं इंदौर हाई कोर्ट ने इस मामले पर निजी स्कूलों के किसी भी फैसले पर हस्तक्षेप करने से मना कर दिया था। इसके बाद पूरे मामले को संज्ञान में लेकर हाई कोर्ट सुनवाई कर रहा है।