रीवा। मध्य प्रदेश के रीवा जिले के सेमरिया से कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा गुरुवार को गांधी जयंती के दिन जिला प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कलेक्ट्रेट परिसर में मौन धरने पर बैठ गए। विधायक का आरोप था कि प्रशासन उन्हें जानबूझकर बैठकों और योजनाओं से दूर रख रहा है, क्योंकि वे कांग्रेस पार्टी से हैं। यह विरोध सुबह 10 बजे शुरू हुआ और दोपहर करीब 2:30 बजे खत्म हुआ।

यह पूरा मामला 25 सितंबर को हुई एक समीक्षा बैठक है, जो ACS रश्मि अरुण शमी के नेतृत्व में आयोजित की गई थी। विधायक अभय मिश्रा का कहना है कि उन्हें इस बैठक की कोई सूचना नहीं दी गई, न ही पत्र भेजा गया और न ही फोन पर जानकारी दी गई। उन्होंने आरोप लगाया कि अन्य सभी विधायकों और जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया, लेकिन उन्हें जानबूझकर नजरअंदाज किया गया।

विधायक अभय मिश्रा ने बताया कि यह पहला मौका नहीं है जब उन्हें बैठकों से दूर रखा गया हो। इससे पहले 18 मई 2025 को रीवा के सर्किट हाउस में प्रभारी मंत्री की बैठक हुई थी, जिसमें कांग्रेस विधायक को बुलाया ही नहीं गया। उस समय भी उन्होंने कांग्रेस जिलाध्यक्ष राजेंद्र शर्मा और अन्य नेताओं के साथ मिलकर सड़क पर बैठकर विरोध जताया था। तब भी वे जमीन पर लेट गए थे।

विधायक ने अपने क्षेत्र सेमरिया में हो रही समस्याओं को लेकर भी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में खाद्यान्न वितरण, बिजली, पानी और अन्य मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है। उनका आरोप है कि राजस्व विभाग के कर्मचारी किसानों को जानबूझकर परेशान कर रहे हैं। धरने के दौरान विधायक अभय मिश्रा पहले कलेक्ट्रेट परिसर में शांतिपूर्वक बैठे रहे, लेकिन थोड़ी देर बाद वे जमीन पर ही लेट गए।

दोपहर 2:30 बजे अभय मिश्रा ने अपना मौन व्रत तोड़ा। इसके बाद उन्होंने प्रशासन और सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा एक ओर तो मेरे जनप्रतिनिधि होने के बाद भी मुझे बैठक में नहीं बुलाया जा रहा है। ताकि, मैं अपनी बात न रख सकूं। वहीं दूसरी तरफ ईमानदार अधिकारियों को जिले में टिकने नहीं दिया जा रहा है। अभी हाल ही में एसडीएम वैशाली जैन का तबादला किया गया। उसकी वजह है कि एसडीएम ने एक के बाद एक कई छापेमार कार्रवाई की थी। कुछ भ्रष्टाचार के मामले भी उजागर कर दिए थे। अभी हाल ही में खाद्यान्न और मुआवजा घोटाला भी उजागर किया था। इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा।