मध्यप्रदेश में आज जारी हुए दसवीं के परिणाम में 15 छात्र-छात्राओं ने 100 प्रतिशत अंक प्राप्त कर टॉप किया है। इन्हीं टॉपर्स विद्यार्थियों में गुना स्थित चिल्ड्रेन उच्च माध्यमिक विद्यालय (हनुमान कॉलोनी) के प्रियांश रघुवंशी भी शामिल हैं। हम समवेत से बात करते हुए प्रियांश ने अपने दिल की बात शेयर की और कहा कि वो भविष्य में डॉक्टर बनना चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'मैं 12वीं में बायोलॉजी विषय लूंगा क्योंकि बचपन से डॉक्टर बनना मेरा सपना रहा है। मुझे विज्ञान खासकर बायोलॉजी में रुचि है। मुझे डॉक्टर का पेशा इसलिए भी पसंद है क्योंकि डॉक्टर लोगों की जान बचाते हैं।'

शायद इस कोरोना काल में डॉक्टर्स की भूमिका से प्रभावित प्रियांश जीवन की दिशा उधर मोड़ना चाहते हैं। लेकिन प्रियांश के पिता की समस्या पढ़ाई के खर्च को लेकर जाहिर हुई जब उन्होंने बताया कि उनकी तनख्वाह ३५ हज़ार से भी कम है और ऐसे में बेटे का सपना और दो बेटियों की परवरिश दोनों का बोझ उठाना आसान नहीं है। लेकिन सुरेश रघुवंशी प्रियांश की सफलता से उत्साहित हैं। उनका कहना है कि बेटे का सपना पूरा करने के लिए जमीन बेचना पड़े तो वो भी करूंगा। लेकिन बेटे को डॉक्टर जरूर बनाउंगा।

प्रियांश अपने डेली रूटीन और पढ़ाई के बारे में बताते हैं कि वे स्कूल में पढ़ने के साथ-साथ मैथ्स और साइंस का कोचिंग भी करते थे। इसके अलावा वह घर पर 2 से 3 घंटे सेल्फ-स्टडी करते हैं। हालांकि प्रियांश को उम्मीद थी कि उनके नंबर अच्छे आएंगे पर टॉप करना अप्रत्याशित था। प्रियांश अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, शिक्षकों और दोस्तों को देते हैं। उन्होंने अपने पिता को मुख्य रूप से शुक्रिया कहा है जिन्होंने घर से बाहर रहकर भी उनका हमेशा ख्याल रखा। प्रियांश के पिता सुरेश रघुवंशी अपने लाडले के सफलता पर काफी भावुक हैं। बेटे की सफलता से अनायास हीं उनके आंखों से खुशी आंसू छलक पड़े। उन्होंने कहा, 'मैं चाहता था कि प्रियांश आईएएस अधिकारी बनें लेकिन इसकी खुशी में ही हमारी खुशी है। मैने अब सारा फैसला प्रियांश के जिम्मे छोड़ दिया है।'

जमीन बेचकर भरेंगे प्रियांश का फीस

प्रियांश के पिता सुरेश एसएएफ जवान हैं। सुरेश ने हम समवेत से बताया कि उनकी मासिक तनख्वाह 35 हजार रुपए के करीब है जो कि मेडिकल की पढ़ाई के खर्चे के लिए काफी नहीं है। उनकी दो बेटियां भी हैं ऐसे में प्रियांश की पढ़ाई पूरी करने के लिए पैतृक जमीन ही एक सहारा है। उन्होंने कहा, 'भारत में मेडिकल की पढ़ाई में करोड़ों खर्च हो जाते हैं। लेकिन मैं उसके लिए तैयार हूं। उनकी आवाज भर गई जब उन्होंने कहा कि मैं अपनी इस तनख्वाह से तो प्रियांश को बेहतर जगह पर नहीं पढ़ा सकता लेकिन मेरे पास कुछ जमीन हैं उन्हें बेचकर मैं बेटे का फीस भरूंगा।'

प्रियांश को हम समवेत की तरफ से शुभकामनाएं !