भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस ने विधानसभा में विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है। मध्यप्रदेश कांग्रेस ने पिछले महीने विधानसभा के कर्मचारियों के कोरोना पॉज़िटिव होने के कारण विधानसभा सत्र स्थगित किए जाने के सिलसिले में विशेषाधिकार हनन नोटिस दिया है। कांग्रेस का आरोप है कि कोरोना के झूठे आंकड़े पेश कर विधानसभा सत्र को स्थगित किया गया था। 

कांग्रेस ने इस मामले में कुल तीन अधिकारियों पर सत्र स्थगित करने के लिए साजिश रचने का आरोप लगाया है। इन तीन अधिकारियों में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अपर सचिव मोहम्मद सुलेमान, स्वास्थ्य सेवाआयुक्त संजय गोयल, और भोपाल ज़िले के सीएमएचओ डॉ प्रभाकर तिवारी शामिल हैं। कांग्रेस ने कहा है कि तीनों अधिकारियों ने एक तय साजिश के तहत कोरोना के झूठे आंकड़े पेश किए ताकि विधानसभा के सत्र को स्थगित किया जा सके। कांग्रेस ने कहा है कि शायद किसी के इशारे पर सत्र को स्थगित करने की साजिश इन अधिकारियों ने रची। 

दरअसल 28 दिसंबर से मध्यप्रदेश विधानसभा के तीन दिवसीय शीतकालीन सत्र की शुरुआत होनी थी। लेकिन सत्र से ठीक पहले खबर आई कि विधानसभा और उससे संबंधित 34 कर्मचारियों को कोरोना का संक्रमण हो गया है। सर्वदलीय बैठक बुलाई गई और विधानसभा सत्र को स्थगित करने के लिए कांग्रेस को सहमत कर लिया गया। लेकिन जल्द ही कोरोना के इन दावों के ऊपर प्रश्न चिन्ह लगना शुरू हो गया। 

यह भी पढ़ें : कांग्रेस नेता जयवर्धन सिंह का आरोप, कोरोना के ग़लत आँकड़ों के आधार पर स्थगित हुआ विधानसभा सत्र

विधानसभा में पत्रकार दीर्घा सलाहकार समिति के सदस्य पवन देवलिया ने कोरोना के फर्जी आंकड़े के आधार पर विधानसभा सत्र को स्थगित किए जाने का दावा किया। पवन देवलिया ने यह दावा किया कि जिन 281 कमर्चारियों का कोविड टेस्ट हुआ वे कर्मचारी विधानसभा सचिवालय के न होकर विधायक विश्राम गृह और राजधानी परियोजना में कार्यरत थे। इन कर्मचारियों का एंटीजन टेस्ट किया गया जिसमें 34 लोगों की कोरोना रिपोर्ट पॉज़िटिव आई। जिनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई, दोबारा टेस्ट कराने पर उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आ गई। कुछ तो ऐसे थे जिनकी दोबारा कोरोना रिपोर्ट आई ही नहीं। 

आखिर सरकार को विधानसभा सत्र स्थगित करने में इतनी दिलचस्पी क्यों थी 

अगर कांग्रेस के आरोपों में सच्चाई है तो सवाल यही उठता है कि सरकार को विधानसभा का सत्र स्थगित क्यों करना था? दरअसल 28 दिसंबर को कांग्रेस कृषि कानूनों के विरुद्ध विधानसभा का घेराव करने वाली थी। कांग्रेस के सभी विधायक पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव के नेतृत्व में प्रदेश भर के किसानों के साथ विधानसभा का ट्रैक्टर मार्च निकालने वाले थे।

कांग्रेस के इस रुख को देखते हुए पहले भोपाल ज़िला प्रशासन ने विधानसभा परिसर के आसपास धारा 144 लगाई। उसके बाद भी कांग्रेस ने अपने इरादे को नहीं बदला तो विधानसभा परिसर के पांच किलोमीटर के भीतर ट्रैक्टर ट्रालियों की आवाजाही को प्रतिबंधित कर दिया गया। लेकिन कांग्रेस ने फिर भी कहा कि वो हर हाल में विधानसभा तक ट्रैक्टर मार्च निकालेगी। इसके साथ ही मध्यप्रदेश विधानसभा में शिवराज लव जिहाद विरोधी कानून लेकर आने वाली थी। 

लेकिन अचानक ही विधानसभा में कोरोना का आगमन हुआ और सर्वदलीय बैठक बुलाकर सत्र को स्थगित करने के लिए आम सहमति बना ली गई। अब कांग्रेस यह आरोप लगा रही है कि कोरोना के फर्जी आंकड़े के आधार पर सत्र को स्थगित कर दिया गया।