भोपाल। चुनाव आयोग ने बिहार की तरह ही मध्य प्रदेश सहित देश के 12 राज्यों और UTs में SIR (विशेष गहन पुनरीक्षण) का ऐलान कर दिया है। आयोग के इस ऐलान के बाद देशभर में सियासत गर्म है। मध्य प्रदेश कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि प्रदेश में 50 लाख लोगों के नाम वोटर लिस्ट से काटने की साजिश हो रही है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने चुनाव आयोग से पूछा है कि एक महीने में पांच करोड़ से अधिक मतदाताओं का सत्यापन कैसे संभव है?
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने बुधवार को भोपाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि चुनाव आयोग ने इसे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन का नाम दिया है, लेकिन वे इसे सिलेक्टिव इंटेंसिव रिमूवल मानते हैं यानी वोटर लिस्ट से चुनिंदा नाम हटाने की प्रक्रिया। उन्होंने सवाल उठाया कि जब आयोग हर साल स्पेशल समरी रिवीजन (SSR) करता आया है, तो अब SIR की आवश्यकता क्यों पड़ी?
सिंघार ने कहा कि हर साल जनवरी में नाम जोड़ने और हटाने का काम होता है, तो क्या आयोग को अपनी ही प्रक्रिया पर विश्वास नहीं है? अगर आयोग को खुद पर भरोसा नहीं, तो जनता उस पर कैसे भरोसा करेगी? कांग्रेस नेता ने दावा किया कि उन्होंने 19 अगस्त को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने वोट चोरी के कई प्रमाण प्रस्तुत किए थे, लेकिन अब तक न एमपी चुनाव आयोग और न ही भारत निर्वाचन आयोग ने कोई जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि जब आयोग ही गड़बड़ी कर रहा है, तो हम SIR पर कैसे विश्वास करें?
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश में 5 करोड़ 65 लाख मतदाता और 65 हजार मतदान केंद्र हैं। 4 नवंबर से 4 दिसंबर के बीच सिर्फ एक महीने में साढ़े पांच करोड़ मतदाताओं की जांच कैसे संभव है? यह आयोग का अजूबा काम हो रहा है। सिंघार ने यह भी कहा कि इतनी कम अवधि में हर व्यक्ति के दस्तावेज सत्यापित करना संभव नहीं है, ऐसे में पारदर्शिता कैसे बनी रहेगी?
सिंघार ने कहा कि बिहार में लाखों लोगों को वोटर लिस्ट से हटा दिया गया। कई मजदूर जो बाहर काम कर रहे थे, उन्हें डिलीट लिस्ट में डाल दिया गया। उन्होंने लोकसभा में 20 जुलाई 2023 को दिए गए एक जवाब का हवाला देते हुए कहा कि 50 लाख एमपी के लोग बाहर काम करते हैं, तो क्या उन्हें एमपी वापस आना पड़ेगा कि वे यहां के निवासी हैं? उन्होंने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश में 50 लाख लोगों के नाम काटने की साजिश रची जा रही है।
सिंघार ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा विशेष रूप से आदिवासी मतदाताओं के वोट काटने की तैयारी कर रही है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों के पास न इंटरनेट है, न कंप्यूटर। तीन लाख आदिवासियों के वनाधिकार पट्टे खारिज कर दिए गए, यानी 12 से 18 लाख वोट काटने की तैयारी पहले ही कर ली गई। सिंघार ने आगे कहा कि यह साजिश दलित, अल्पसंख्यक और ओबीसी समुदायों तक भी पहुंचेगी। क्योंकि ये लोग भी रोजगार के लिए बाहर जाते हैं, और जब BLO (बूथ लेवल अधिकारी) उन्हें घर पर नहीं पाएंगे, तो उनके नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए जाएंगे।