भोपाल। दीपावली का पर्व मिठाइयों के बिना अधूरा है, लेकिन आज के दौर में इसके साथ ही त्योहार की मिठास में मिलावट के जहर घुलने का खतरा भी बढ़ जाता है है। इसी आशंका को देखते हुए मध्य प्रदेश के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने पूरे प्रदेश में मिलावटी खाद्य पदार्थों के खिलाफ एक विशेष अभियान शुरू किया है। नियंत्रक दिनेश श्रीवास्तव ने बताया कि 1 अक्टूबर से जारी इस अभियान में अब तक 13,890 किलोग्राम मिलावटी खाद्य सामग्री जब्त की गई है। जिसकी कीमत करीब 17.83 लाख रुपये है। कार्रवाई के दौरान सात संस्थानों के लाइसेंस भी रद्द कर दिए गए हैं।

इस अभियान के तहत प्रदेश के सभी जिलों में मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। अब तक जांच के लिए 2315 खाद्य सामग्री के नमूने लिए जा चुके हैं। इनमें दूध के 123, मावा के 253, पनीर के 115, मिठाइयों के 793, नमकीन के 186 और अन्य खाद्य पदार्थों के 845 नमूने शामिल हैं। जांच के दौरान कई नमूनों में मिलावट की पुष्टि हुई है। इसके बाद 13,890 किलो से अधिक मिलावटी सामग्री बरामद की गई। अधिकारियों का कहना है कि अभियान त्योहारों के पूरे सीजन में जारी रहेगा ताकि उपभोक्ताओं तक शुद्ध खाद्य सामग्री ही पहुंच सके।

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खाद्य नियंत्रक दिनेश श्रीवास्तव ने स्पष्ट किया है कि दीपावली जैसे बड़े त्योहारों में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता पर सतर्क निगरानी रखी जाएगी। उन्होंने सभी जिला अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जन स्वास्थ्य सुरक्षा के दृष्टिकोण से किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मिलावट पाए जाने पर दोषियों के खिलाफ एफएसएसएआई एक्ट के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी और जरूरत पड़ने पर लाइसेंस निरस्त किए जाएंगे।

त्योहार के मौके पर उपभोक्ताओं से भी सतर्क रहने की अपील की गई है। मिठाई हमेशा विश्वसनीय और लाइसेंस प्राप्त दुकानों से खरीदनी चाहिए जहां FSSAI लाइसेंस नंबर स्पष्ट रूप से प्रदर्शित हो। साथ ही मिठाई की ताजगी पहचानना भी बेहद जरूरी है। ध्यान रखें कि ताजा मिठाई की सुगंध प्राकृतिक होती है, जबकि पुरानी मिठाई से खटास या बासीपन की गंध आती है। अगर किसी मिठाई का रंग असामान्य रूप से चमकीला या आंखों को चुभने वाला लगे तो यह संकेत हो सकता है कि उसमें सिंथेटिक रंगों का उपयोग किया गया है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

घी और मावे की गुणवत्ता भी जांचना जरूरी है। शुद्ध मावा हल्के पीले रंग का होता है और उसे तोड़ने पर परतदार बनावट दिखाई देती है। जबकि, नकली मावा तेलीय, चिपचिपा और दबाने पर तेल छोड़ने वाला होता है। इसके अलावा उपभोक्ताओं को खुली मिठाइयों से बचना चाहिए, क्योंकि धूल, मक्खियां और बैक्टीरिया खुले में रखी मिठाइयों को दूषित कर सकते हैं। इसलिए पैक्ड या ढ़की हुई मिठाइयों को ही खरीदना स्वास्थ्य के लिए बेहतर है।

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त्योहारों की भागदौड़ के बीच अगर आप मिठाई की शुद्धता जांचना चाहते हैं तो घर पर कुछ आसान तरीके भी अपनाए जा सकते हैं। मावा की जांच के लिए थोड़ी सी मावा को हाथ में लेकर मसलें। अगर वह तैलीय और चिपचिपा महसूस हो तो उसमें मिलावट की संभावना है। इसी तरह स्टार्च जांचने के लिए मावा में कुछ बूंदें आयोडीन डालें। अगर रंग नीला पड़ जाए तो समझिए उसमें स्टार्च मिलाया गया है। चांदी के वर्क की जांच भी जरूरी है, असली चांदी का वर्क उंगली से रगड़ने पर नहीं मिटता, जबकि नकली वर्क तुरंत फटकर उंगलियों पर चिपक जाता है। चाशनी की जांच करते समय भी ध्यान रखें कि अगर वह बहुत गाढ़ी और चिकनी लगे तो उसमें ग्लूकोज या रासायनिक पदार्थ मिलाए गए हो सकते हैं।

खाद्य विभाग ने उपभोक्ताओं को यह भी सलाह दी है कि अगर मिठाई की गुणवत्ता पर जरा सा भी संदेह हो तो तुरंत शिकायत दर्ज कराएं। इसके लिए खाद्द विभाग ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। खाद्द विभाग का हेल्पलाइन नंबर 1800-11-2100 है। इसके अलावा foodlicensing.fssai.gov.in वेबसाइट पर ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज की जा सकती है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उपभोक्ताओं की शिकायतें सीधे एफडीए और जिला प्रशासन तक पहुंचाई जा रही हैं ताकि त्वरित कार्रवाई की जा सके। त्योहारों की खुशियों में स्वास्थ्य की अनदेखी न करें। मिठाई जितनी सस्ती होगी उस पर संदेह उतना ही अधिक होना चाहिए। इसलिए इस दीपावली पर देखो, सूंघो और चखो के तीन सरल नियम अपनाएं और स्वाद से पहले सेहत को प्राथमिकता दें।

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