भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आदिमजाति मंत्री समिति की बैठक के दौरान आदिवासी जनजाति को लेकर एक अहम बात कही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति जमीन हड़पने के मकसद से आदिवासी युवती से शादी करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उन्होंने अधिकारियों को यह  निर्देश भी दिया कि यह पूर्ण रूप से सुनिश्चित किया जाए कि अब इस तरह के मामलों में ज़मीन को लेकर नए कब्जे न हों।

इसके अलावा इस बैठक में दिसंबर 2006 के पहले के कब्जा धारियों को वनाधिकार के पट्टे दिए जाने का भी निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि हिमाचल प्रदेश समेत अन्य कई राज्यों में लागू पेसा एक्ट का अध्यन कर निर्णय लिया जाएगा।

बता दें कि इससे पहले साल 2017 में श्योपुर के एक गांव के आदिवासी समाज ने कहा था कि यदि आदिवासी समाज का कोई युवक या युवती गैर आदिवासी से शादी करता है तो समाज उसका बहिष्कार करेगा। उनके मुताबिक ऐसे कई मामले  आए जिसमें ज्यादातर पुरुष ने तो अपने ही समाज में महिला से शादी की लेकिन आदिवासी समाज की महिलाओं को दूसरे समाज के लोग अपनी बातों में फंसा कर इसलिए शादी कर लेते ताकि उनके नाम पर सरकारी योजनाओं का लाभ उठाया जा सके। वह उनकी जमीनों पर अपना हक जमाते हैं पर शादी के बाद वह उन महिलाओं का कोई ध्यान नहीं रखते।

मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री ने इसे लेकर कार्रवाई करने की बात तो कही है। लेकिन आदिवासी बहु बेटियों के संरक्षण में कानून लाना अभी बाकी है ।

संविधान की पांचवी अनुसूची में आदिवासी जनजाति की सामाजिक, भाषायी, सांस्कृतिक, और आर्थिक वजूद की सुरक्षा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रावधान है। लेकिन ज़मीनों पर कब्जे की शिकायतों के सामने आने के बाद इस कानून को बनाने की मांग ज़ोर पकड़ रही है ।

आदिवासी समाज का कहना था कि आदिवासी लड़की यदि किसी गैर आदिवासी से शादी करती है तो उसकी आदिवासियत के साथ-साथ उसकी जमीन, भाषा, संस्कृति और उसको मिलने वाली सुविधाओं पर भी दूसरे कब्जा कर लेते हैं। शादी बेशक दो लोगों के बीच का निजी मामला है लेकिन आदिवासी समाज में जमीन व्यक्ति का न होकर उसके समुदाय, परिवार का माना जाता है और आदिवासी समाज अपनी परंपरा और मौखिक कानूनों के अनुसार ही चलता है।

इससे पहले साल 2019 में झारखंड सरकार ने इस कानून को लेकर अध्यादेश जारी किए थे। जिसके तहत आदिवासी महिलाओं से गैर आदिवासी व्यक्ति द्वारा शादी करने पर उन्हें ज़मीन का कोई हक़ नहीं मिलेगा। इस प्रावधान के मुताबिक कहा गया था कि आदिवासी युवती से शादी करने वाले गैर आदिवासी युवक को उस महिला के नाम पर मौजूद जमीन का मालिकाना हक नहीं मिल सकता। साथ ही ऐसे दंपति के बच्चों को भी मां की जमीन पर कोई अधिकार नहीं मिलेगा।