भोपाल। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को प्रदेश के सभी हितग्राहियों के आयुष्मान कार्ड बनाने के निर्देश दिए हैं। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को इसके लिए तीन महीने की मोहलत दी है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से यह जानकारी भी मांगी है कि अब तक आयुष्मान योजना से प्रदेश के कितने सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों को संबद्ध किया गया है। 

फरवरी 2020 तक महज़ 25 फीसदी आयुष्मान कार्ड बने 

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच को अधिकवक्ता नमन नागरथ ने एक आंकड़े के हवाले से बताया है कि फरवरी 2020 तक प्रदेश में महज 25 फीसदी लोगों के ही आयुष्मान कार्ड बने थे। नागरथ ने आयुष्मान भारत योजना के सीईओ के पत्र का हवाला देकर बताया है कि प्रदेश के ज़्यादातर लोग आयुष्मान भारत योजना का लाभ ही नहीं उठा पा रहे हैं। नागरथ से हाई कोर्ट को यह भी बताया कि दिसंबर 2019 तक प्रदेश के 60 फीसदी सरकारी अस्पताल ही आयुष्मान भारत योजना से संबद्ध हो पाए थे। 

दरअसल हाल ही में शाजापुर के एक अस्पताल में अस्पताल का बकाया नहीं चुकाने पर अस्पताल प्रबंधन ने एक बुजुर्ग के हाथ पैर पलंग से बांध दिए थे। इसी घटना पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने खुद से संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की है। चीफ जस्टिस आरिफ मोहम्मद और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की दो सदस्यों वाली बेंच ने राज्य सरकार को आयुष्मान कार्ड बनाने और अस्पतालों को आयुष्मान भारत योजना से संबद्ध कराने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने 15 मार्च को होने वाली अगली सुनवाई में सरकार को प्रतिवेदन भी पेश करने के लिए कहा है।