ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया को लोकसभा चुनाव हराने वाले सांसद केपी यादव को बीजेपी ने बहुत तवज्‍जो दी थी मगर जब से सिंधिया बीजेपी में आए हैं तब से सांसद केपी यादव को नजरअंदाज किया जाने लगा है। यहां तक कि सोमवार को गुना के मुंगावली में हुई बीजेपी की वर्चुअल रैली में क्षेत्र के सांसद  केपी यादव को आमंत्रित नहीं किया गया। बताया गया कि सिंधिया इस रैली में शामिल हुए इसलिए केपी यादव को जानबूझ कर नजरअंदाज कर दिया गया।

मध्य प्रदेश में जल्द ही 24 सीटों पर विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। उपचुनावों को लेकर बीजेपी ने अपना अभियान शुरू कर दिया है। इसी के तहत बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और कांग्रेस के बागी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुंगावली विधानसभा उपचुनाव को लेकर वर्चुअल रैली को संबोधित किया। इस पूरी रैली सांसद केपी यादव की गैर मौजूदगी चर्चा का विषय रही। सिंधिया अब तक अपनी करारी हार को न तो पचा पाए हैं और न ही हार को भुला पाने की क्षमता उनमें है। यही कारण है केपी यादव के क्षेत्र के अपने समर्थक बृजेंद्र सिंह यादव को मंत्री बना कर सिंधिया ने केपी यादव को पटकनी देने की कोशिश की है। आज तो बीजेपी ने भी पार्टी के कार्यक्रम में सिंधिया को महत्‍व देते हुए अपने सांसद केपी यादव को नजरअंदाज कर दिया।

 हालांकि केपी यादव के वर्चुअल रैली में न शामिल होने पर अपना स्पष्टीकरण देते हुए वीडी शर्मा ने कहा कि गुना सांसद हर कार्यक्रम में उपस्थित रहते हैं। आज उपस्थित नहीं थे।

सिंधिया और यादव के रिश्तों में कब पड़ी थी दरार ? 
गुना सांसद केपी यादव पेशे से डॉक्टर हैं। वे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के सांसद प्रतिनिधि हुआ करते थे। चुनावों के दौरान सिंधिया के तमाम राजनीतिक नीति उन्हीं के जिम्मे हुआ करता था। लेकिन दोनों के बीच अनबन तब बढ़ गई जब केपी यादव पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान मुंगावली से टिकट नहीं दिया गया। केपी यादव की जगह सिंधिया ने मुंगावली से पूर्व विधायक बृजेन्द्र यादव को टिकट दिलाया था। इसके बाद ही दोनों के रिश्तों में दरार पड़ गई और केपी यादव ने सिंधिया को सबक सिखाने के लिए बीजेपी के टिकट पर गुना की लोकसभा सीट से ताल ठोक दी। लोकसभा चुनाव में केपी यादव से सिंधिया को कारारी हार मिली। केपी यादव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को 1 लाख 26 हज़ार से ज़्यादा वोटों से हरा दिया। तभी से सिंधिया केपी यादव से खफा हैं।