खरगोन। मध्य प्रदेश के खरगोन जिला अंतर्गत बड़वाह निवासी राजेश शर्मा के 24 वर्षीय पुत्र कार्तिक शर्मा का लीवर फेल हो गया था। इलाज के लिए 48 लाख रुपयों की आवश्यकता थी। परिजनों ने राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के माध्यम से पीएम मोदी से मदद की गुहार लगाई। लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय से महज 50 हजार रुपए मदद की पेशकश हुई वो भी कार्तिक की मौत के एक महीने बाद। पीएम ने पीड़ित परिजनों को जिस भाषा में पत्र लिखा उसे पढ़कर परिजन और आहत हो गए। दुखी पिता ने भारी मन से पीएम को पत्र लिखा और मदद की रकम वापस लौटा दिया। साथ ही कहा है कि प्रजातंत्र में सरकार जनता की होती है, हमारी सरकार को हमारी ही रहने दें, किसी की व्यक्तिगत सरकार न बनाएं।

दरअसल, PMO की ओर से पीड़ित परिजनों को एक पत्र भेजा गया था। प्रधानमंत्री के हस्ताक्षर वाले इस पत्र में लिखा था कि, प्रिय कार्तिक आपको गंभीर बीमारी से मुक्त करने के लिए Medical Treatment की अनिवार्यता हो गई है, ऐसा ज्ञात हुआ है। आपकी आर्थिक स्थिति इस आपदा की पहुँच से बाहर है यह मैं समझ सकता हूँ। इसलिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से आपकी चिकित्सा हेतु खर्च की अंशतः पूर्ति के लिए सहायता के रूप में 50 हजार रुपए की राशि सैद्धांतिक रूप से मंजूर की गई है। आप के परिवार की निस्सहाय परिस्थिति में सरकार आपकी सहायक बनी, किन्तु यह राशि जनता के द्वारा दिये गये सहयोग से प्रदान की गई है। आप का परिवार समाज के इस ऋण को कभी नहीं भुला सकता, ऐसा मेरा विश्वास है।' 

पीएमओ ने इस पत्र के माध्यम से आर्थिक मदद की पेशकश कार्तिक के निधन के 25 दिन बाद की। साथ ही इसमें जिस भाषा का प्रयोग किया गया, जिसे पढ़कर पीड़ित परिवार स्तब्ध है। इसके जवाब में मृतक के पिता ने पीएम मोदी को लिखा है कि, 'मेरे 24 वर्षीय बेटे श्री कार्तिक शर्मा के हार्ट, किडनी और लिवर फेल हो जाने के कारण उसके इलाज के लिए हमारे परिवार ने प्रधानमंत्री सहायता कोष से मदद के लिए राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के माध्यम से आपसे गुहार की थी। मुम्बई में लाखों रुपये खर्च हो जाने के बाद हमारा परिवार आर्थिक रूप से टूट गया था तथा जब बेटे को मुंबई से हैदराबाद के अस्पताल में शिफ्ट किया गया तो अस्पताल ने 48 लाख का एस्टीमेट दिया था। उसी के लिए आपसे 20 मार्च को सांसद दिग्विजय सिंह के माध्यम से मदद मांगी थी।'

राजेश शर्मा ने पीएम मोदी को संबोधित इस पत्र में आगे लिखा है कि, हमें हाल ही में आपके हस्ताक्षर से एक पत्र प्राप्त हुआ है जिसमें आपने मेरे बेटे के इलाज के लिए 50 हजार रूपये की राशि स्वीकृत की है, जो आप सीधे अस्पताल को भिजवा रहे हैं। मैं आपको अवगत कराना चाहता हूं कि मेरा बेटा अब इस दुनिया में नहीं है। अस्पताल में उपचाररत रहते हुये दिनांक 9 अप्रैल 2022 को उनका निधन हो गया है। आपने हमारे अनुरोध के एक माह बाद 50 हजार रुपये की मदद की कृपा की इसके लिए आपको धन्यवाद।' 

मृतक के पिता ने पत्र में उपयोग की गई भाषा पर आपत्ति जताते हुए लिखा, 'आपने पत्र में लिखा है कि हमारी निःसहाय परिस्थिति में सरकार हमारी मददगार बनी इसके लिए हमारा परिवार समाज के इस ऋण को कभी नहीं भुला सकता ऐसा आपका विश्वास है। आदरणीय प्रधानमंत्री जी मुझे आपके इस पत्र को पढ़कर उतना ही दुख हुआ जितना मुझे मेरे पुत्र की मृत्यु के कारण हुआ था। आपने मेरे बेटे को जनता के ही पैसे से बने प्रधानमंत्री राहत कोष से उसकी मृत्यु के उपरांत मात्र 50 हजार की सहायता स्वीकृत करके उसे और हमारे परिवार को जिंदगी भर के लिए ऋणी बना दिया है। मेरा बेटा तो अब आपके इस ऋण को चुकाने के लिए दुनिया में नहीं है। मैं अपने इकलौते बेटे को खोकर अत्यंत शोकपग्रस्त हूं।'

शर्मा ने आगे लिखा कि, 'मैं आपके ऋण के बोझ को आजीवन सह पाने में असमर्थ हूँ। यदि उचित सहायता हमें समय पर और आपके इतने बड़े अहसान के बगैर मिलती तो शायद हम इस ऋण के बोझ को उठाने का साहस भी जुटा पाते लेकिन बेटा अब इस दुनिया में नहीं है और अस्पताल के बिलों का भुगतान किया जा चुका है।'

उन्होंने पीएम मोदी को धन्यवाद देते हुए लिखा कि मैं अपने बेटे के इलाज के लिए आपके द्वारा सैद्धांतिक रूप से स्वीकृत राशि रुपये 50 हजार विनम्रतापूर्वक अस्वीकार करता हूँ। यह राशि हमें या अस्पताल को नहीं भेजें। आपसे एक निवेदन जरूर है कि प्रजातंत्र में सब कुछ जनता का होता है और देश का हर नागरिक उसमें भागीदार होता है, इसलिए कृपया आप किसी पर ऋण लादने का काम न करे और हमारी सरकार को हमारी ही रहने दें। किसी की व्यक्तिगत न बनाएं।'