भोपाल। मध्यप्रदेश में आगामी उपचुनाव को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। प्रदेश में 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले कांग्रेस ने 15 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। जिसमें एक मुरैना की दिमनी विधानसभा सीट है।

कांग्रेस ने इस सीट से अपना उम्मीदवार रवीन्द्र सिंह तोमर को बनाया है जो कि सिंधिया समर्थक नेता माने जाते हैं। हालांकि सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बावजूद उन्होंने कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ा। यही वजह है कि कमल नाथ ने पार्टी से दगा न करने वाले रवींद्र सिंह तोमर पर अपना भरोसा जताया है।

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इसके अलावा रवींद्र सिंह तोमर पर भरोसा जताने की वजह उनका रिकॉर्ड है। रवीन्द्र सिंह तोमर ने पहली बार 2008 में बहुजन समाज पार्टी की टिकट से चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में वे महज़ 150 वोटों से हार गए थे। इसके बाद तोमर ने बीजेपी का रुख किया था। हालांकि बीजेपी ने 2013 में रवींद्र सिंह तोमर को अपना उम्मीदवार नहीं बनाया। जिसके बाद रवींद्र सिंह तोमर कांग्रेस में शामिल हो गए। 

कांग्रेस ने 2013 में रवींद्र सिंह तोमर को अपना उम्मीदवार तो बनाया लेकिन तोमर को उस चुनाव में भी कामयाबी नहीं मिल सकी। रवींद्र सिंह तोमर 2500 वोटों से चुनाव हार गए। 2018 में कांग्रेस ने तोमर की जगह गिर्राज दंडोतिया को मैदान में उतारा। गिर्राज दंडोतिया दिमनी से चुनकर विधानसभा पहुंच गए। लेकिन जब सिंधिया बीजेपी में शामिल हुए तब दंडोतिया भी बीजेपी के संग हो लिए। 

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अब उपचुनाव में रवींद्र सिंह तोमर और गिर्राज दंडोतिया का मुकाबला होना है। उपचुनाव से पहले इन दोनों ही उम्मीदवारों को अपने अपने स्तर पर विरोध झेलना पड़ रहा है। गिर्राज दंडोतिया को उनके विधानसभा क्षेत्र की जनता वादाखिलाफी करने के लिए जमकर लताड़ रही है। दंडोतिया जहां भी जा रहे हैं वहां उनको लोगों का विरोध झेलना पड़ रहा है। 

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तो वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार तोमर को पार्टी के स्तर पर विरोध झेलना पड़ रहा है। दिमनी से रवींद्र सिंह तोमर को उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर पार्टी में काफी नाराज़गी है। कांग्रेस में रवींद्र सिंह तोमर का जमकर विरोध हो रहा है। ऐसे में उपचुनाव का मुकाबला बेहद ही रोचक हो गया है। उपचुनाव में दोनों ही प्रमुख उम्मीदवारों के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने खिलाफ पनप रहे विरोध से निपटना है। यह देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि दोनों ही उम्मीदवार विरोध की इस समस्या से कैसे निपटेंगे ?