नरसिंहपुर। ज्योतिर्मठ बद्रीनाथ और शारदा पीठ द्वारका के शंकराचार्य जगतगुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने की खबर से उनके शिष्यों में गहरा शोक व्याप्त है। जगतगुरु के अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त नरसिंहपुर पहुंच रहे हैं। झोतेश्वर स्थित उनकी तपोस्थली पर भक्तों का तांता लगा है। स्वरूपानंदजी के कई नेता और देश की बड़ी हस्तियां अनुयायी रहे हैं। ऐसे में नेता-मंत्रियों के आने का सिलसिला भी जारी है। उनके परमभक्तों में शुमार कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह उनके अंतिम दर्शन करने केरल से विशेष विमान से आ रहे हैं।



जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सोमवार सुबह करीब 11:30 बजे तिरुवनन्तपुरम, केरल से विशेष विमान से प्रस्थान करेंगे। दोपहर करीब 1:30 बजे वे जबलपुर पहुंचेंगे। यहां से वे सड़क मार्ग से झोतेश्वर के लिए रवाना होंगे। परमहंसी गंगा आश्रम झोतेश्वर में वह दिवंगत गुरु महाराज के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। अपने गुरुदेव पूज्यपाद शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज के अंतिम दर्शन करने के उपरांत वे शाम को 6 बजे जबलपुर से विशेष विमान से तिरुवनन्तपुरम, केरल के लिए रवाना होंगे। 



बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के परम भक्तों में से एक रहे हैं। माना जाता है कि जब कभी भी दिग्विजय सिंह के सामने राजनीतिक या फिर कोई सामाजिक परेशानियां उत्पन्न हुई तो उन्होंने महाराजश्री की ही शरण ली। दिग्विजय लगभग उनके हर बड़े कार्य्रकम में शामिल होते आए हैं। ऐसे में माना जा रहा था कि भारत जोड़ो यात्रा छोड़ वे पूज्यपाद जगतगुरु के अंतिम दर्शन करने जरूर आएंगे। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ और सुरेश पचौरी भी झोतेश्वर जाएंगे।





जानकारी के मुताबिक शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद की पार्थिव शरीर आश्रम के गंगा कुंड स्थल पर रखी गई है। आज दोपहर 1 बजे तक अंतिम दर्शन होंगे। इसके बाद करीब 4 बजे उन्हें समाधि दी जाएगी। उनके शिष्य दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज  ने बताया कि समाधि देने की पूरी तैयारी हो चुकी है। अभी विशेष पूजा चल रही है। डेढ़ बजे शोकाचार पूजा शुरू होगी। माथे पर शालिग्राम भगवान को विराजित कर दूध से अभिषेक किया जाएगा। इसके बाद श्रृंगार होगा, फिर पालकी बैठाकर शोभायात्रा निकलेगी, जो परमहंसी गंगा कुंड से भगवती मंदिर तक जाएगी। मंदिर की परिक्रमा के बाद बाहर निकलकर समाधि स्थल पर ले जाया जाएगा। इसके बाद काशी से आए पंडित अवधराम शास्त्री के नेतृत्व में विधि सम्पन्न करवाएंगे।



बता दें कि सनातन परंपरा में साधु-संतों को भू-समाधि दी जाती है। भू-समाधि में पद्मासन या सिद्धि आसन की मुद्रा में बैठाकर समाधि दी जाती है। अक्सर यह समाधि संतों को उनके गुरु की समाधि के पास या मठ में दी जाती है। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को भी भू-समाधि उनके आश्रम में दी जाएगी। परमहंसी गंगा आश्रम परिसर में ही पंडाल से करीब 400 मीटर दूर समाधि के लिए गड्ढा तैयार किया गया है।