सतना। मध्य प्रदेश के सिंगरौली में सिस्टम को शर्मसार करने वाला हादसा हुआ है। यहां सीवर की सफाई करने के लिए टैंक में उतरे एक सफाईकर्मी की मौत हो गई जबकि दो घायल हैं। उन्हें गहरे सीवर में बगैर सुरक्षा उपकरण के उतरने को मजबूर किया गया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक गुरुवार दोपहर जिले के कृपालपुर इलाके में त्रिवेणी पैलेस के पास सीवर की सफाई के दौरान तीन कर्मचारी जहरीली गैस की चपेट में आ गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, तीनों कर्मचारी बिना किसी सुरक्षा उपकरण के सीवर में उतरे थे। उन्हें रस्सी और ऑक्सीजन सिलेंडर की मदद से बाहर निकाला गया और तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। यहां डॉक्टरों ने एक को मृत घोषित किया, जबकि दो का इलाज जारी है।
यह भी पढ़ें:वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए टीम इंडिया का ऐलान, शुभमन बने कप्तान तो जडेजा संभालेंगे उपकप्तानी
चार दिन में दूसरा हादसा
सतना में सिर्फ चार दिन के भीतर यह दूसरा गंभीर हादसा है। इससे पहले बीते 22 सितंबर को क्रिस्तुकुला स्कूल के पास पीसी स्नेहिल कंपनी के दो कर्मचारियों की तबीयत सीवर की मैनुअल सफाई के दौरान बिगड़ गई थी। उन्हें भी तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया था। इसी तरह गुरुवार को ऐन विराट कंपनी ने तीन लोगों को भी बिना सुरक्षा उपकरण के सीवर में उतार दिया।
आंकड़े बताते हैं गंभीर स्थिति
सीवर और सेप्टिक टैंक में सफाई के दौरान होने वाले हादसों के आंकड़े चिंताजनक हैं। साल 2019 से 2024 के बीच दिल्ली में ही 37 लोग ऐसे हादसों में मारे गए। देशभर में पिछले छह वर्षों में इस तरह की मौतों की संख्या 430 तक पहुंच गई है। ये सभी मामले ऐसे समय में सामने आए हैं जब सरकार बार-बार मशीनों और सुरक्षित तरीकों से सफाई कराने का दावा करती रही है। लेकिन बगैर सुरक्षा उपकरण के काम कराने पर कानून मौजूद होने के बावजूद कंपनियां और ठेकेदार इन नियमों की अनदेखी कर रहे हैं।
क्यों होती है सीवर में मौत
दरअसल, टॉयलेट से निकलने वाला मैला और अन्य जगहों का गंदा मिश्रण जब सीवर में फंस जाता है तो उसके भीतर खतरनाक गैस बन जाती है। बावजूद उसे साफ करने के लिए मजदूरों को ही अंदर भेजा जाता है। बिना उपयुक्त सुरक्षा के सीवर में जाना जानलेवा साबित होता है। सीवर की सफाई ऐसा काम है जिसे करने के लिए मशीनों की मदद ली जा सकती है। लेकिन 21वीं सदी के भारत में आज भी सीवर को साफ करने के लिए इंसान उतर रहे हैं जिससे उनकी असमय मृत्यु हो जाती है