भोपाल। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार भ्रष्टाचार और घोटालों के मुद्दे पर चौतरफा घिरी हुई है। नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच अब सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारियां शुरू हो गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक विपक्षी दल कांग्रेस शीतकालीन सत्र के दौरान अविश्वास प्रस्ताव पेश करेगी। भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और भर्ती घोटाला इस प्रस्ताव के मुख्य मुद्दे होंगे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक PCC चीफ कमलनाथ ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह और पूर्व विधायक पारस सकलेचा को अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी की जिम्मेदारी सौंपी है। इसे लेकर बैठकों का दौर भी शुरू हो गया है। पार्टी के सभी विधायकों से भी भ्रष्टाचार संबंधी प्रमाणिक जानकारियां मांगी गई हैं। इसमें कुछ रिटायर्ड आइएएस अधिकारी भी सहयोग कर रहे हैं। आगामी 12 सितंबर को कांग्रेस विधायक दल की बैठक होगी। इस बैठक में अविश्वास प्रस्ताव के मुख्य मुद्दों को लेकर विधायकों से रात ली जाएगी।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक प्रदेश की बदहाल अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार को विशेष रूप से घेरा जाएगा। राज्य सरकार के ऊपर तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज हो चुका है वहीं पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 30 लाख के आंकड़े को पार कर चुका है। इसके अलाव पोषण आहार घोटाला, कारम डैम लीक, नर्सिंग कॉलेज घोटाला, पुलिस भर्ती घोटाला जैसे हालिया चर्चित मामलों पर सरकार से जवाब मांगा जाएगा।
विधानसभा ने नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने कहा कि हम मॉनसून सत्र में ही अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहते थे, इसलिए सीएम शिवराज से अनुरोध किया था कि मानसून सत्र की अवधि कम से कम 20 दिन रखी जाए। लेकिन सत्र पांत्र दिन के लिए बुलाया गया जिसमें पहला दिन दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि दी गई और फिर सरकार ने अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कराने के लिए समय नहीं होने के कारण शीतकालीन सत्र में अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्णय लिया गया। यदि सरकार शीतकालीन सत्र की अवधि भी पर्याप्त नहीं रखती है तो सदन में ही धरना दिया जाएगा।
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बता दें कि कांग्रेस विधायक दल ने आखिरी बार साल 2013 में शिवराज सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। हालांकि, इस पर सदन में चर्चा नहीं हो पाई थी। इसके पहले साल 2011 में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया था, जिस पर चार दिन सदन में चर्चा हुई थी।