जबलपुर। मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में स्वच्छता और मरीजों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। इंदौर के एमवाय अस्पताल और नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के बाद अब जबलपुर जिला अस्पताल से चूहों के आतंक का मामला सामने आया है। यहां हड्डी यानी अस्थि वार्ड में चूहे मरीज के बेड से लेकर टिफिन तक खुलेआम घूमते दिखाई दिए। इसका वीडियो सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है।

यह मामला शाहपुरा निवासी 10 वर्षीय मदन चौधरी से जुड़ा है जो हाथ के ऑपरेशन के बाद पिछले एक सप्ताह से जिला अस्पताल में भर्ती है। दो दिन पहले ही उसे आईसीयू से अस्थि वार्ड में शिफ्ट किया गया था। बच्चे के पिता मनोज चौधरी का आरोप है कि वार्ड में चूहे लगातार घूम रहे थे और कई बार तो मरीज के ऊपर गिरने की स्थिति भी बन गई थी। परेशान होकर उन्होंने रविवार देर रात करीब तीन बजे वार्ड का वीडियो रिकॉर्ड किया जिसमें चूहे मरीज के बेड और खाने के टिफिन के आसपास घूमते नजर आ रहे हैं।

यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है जिसे समाजवादी पार्टी के प्रदेश सचिव आशीष मिश्रा ने भी साझा किया है। उन्होंने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि इस तरह की अव्यवस्थाएं सीधे तौर पर मरीजों की जान के लिए खतरा हैं। मरीज के परिजनों का कहना है कि यह समस्या कोई नई नहीं है। बीते कई दिनों से चूहे अस्थि वार्ड में नजर आ रहे हैं। नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टरों को कई बार इसकी शिकायत की जा चुकी है लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। जिसके बाद मजबूर होकर परिवार ने यह वीडियो सार्वजनिक कर दिया।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मामले को संज्ञान में लिया गया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय मिश्रा ने बताया कि यदि वीडियो की पुष्टि होती है तो जांच कराई जाएगी और जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बताया जा रहा है कि जिला अस्पताल में आखिरी बार 27 नवंबर 2025 को पेस्ट कंट्रोल कराया गया था।

हालांकि, इस पूरे मामले में जिला अस्पताल के सिविल सर्जन नवीन कोठारी का बयान विवादों में आ गया है। उन्होंने चूहों और सांपों को अस्पताल का मूल निवासी बताते हुए कहा कि अस्पताल में निर्माण कार्य चल रहा है इसलिए चूहे निकल रहे हैं। साथ ही उन्होंने सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी सफाई ठेकेदार पर डाल दी। उनके इस बयान को गैर-जिम्मेदाराना बताते हुए अस्पताल प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर और सवाल उठने लगे हैं।

यह पहली बार नहीं है जब सरकारी अस्पतालों में चूहों की मौजूदगी सामने आई हो। तीन महीने पहले जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विभाग में भर्ती दो मरीजों के पैर चूहों ने कुतर दिए थे। उस समय विभाग का भवन रेनोवेशन में था और मरीजों को अस्थि रोग विभाग के भवन में शिफ्ट किया गया था। जांच में डॉक्टरों और कर्मचारियों की लापरवाही सामने आई थी।

इसी तरह, प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल इंदौर के एमवाय अस्पताल के एनआईसीयू में चूहों के काटने से दो नवजात बच्चों की मौत का मामला भी सामने आ चुका है। चूहों ने नवजातों के हाथ-पैर कुतर दिए थे जिससे संक्रमण फैल गया और दोनों की दो दिन के भीतर मौत हो गई थी। इस मामले में मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए अस्पताल अधीक्षक से एक महीने में रिपोर्ट मांगी थी। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने डीन से स्पष्टीकरण लिया और दो नर्सिंग ऑफिसर को निलंबित किया गया और हाई लेवल जांच समिति गठित की गई थी। हालांकि, अस्पताल प्रबंधन ने चूहों के काटने से मौत होने से इनकार करते हुए इंफेक्शन को वजह बताया था।