भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल में बुधवार तड़के मॉर्चुरी के पास स्थित पुरानी पानी की टंकी से दो नवजात बच्चों के अधजले शव बरामद हुए। यह टंकी लंबे समय से अस्पताल प्रबंधन द्वारा कचरे फेंकने के स्थान के रूप में इस्तेमाल की जा रही थी। बुधवार सुबह कचरे में आग लगने के बाद फायर ब्रिगेड को बुलाया गया। आग बुझने के बाद टंकी की जांच की गई तब यह भयावह मामला सामने आया। घटनास्थल से प्लास्टिक और अस्पताल की बेडशीट भी मिली। पुलिस को आशंका है कि नवजातों को इसी में लपेटकर कचरे में फेंका गया था और बाद में आग लगा दी गई।

दोनों शवों को बरामद कर मॉर्चुरी भेज दिया गया है। पुलिस के अनुसार, एक नवजात का शव लगभग 90 प्रतिशत तक जल चुका था जबकि दूसरा आंशिक रूप से जला हुआ था। गुरुवार दोपहर पांच डॉक्टरों की विशेष टीम ने नवजातों के शव की पोस्टमॉर्टम की। कोह-ए-फिजा थाना प्रभारी केजी शुक्ला स्वयं पोस्टमॉर्टम रूम में मौजूद थे। पोस्टमॉर्टम हाउस के गेट को ताला लगाकर पूरी तरह बंद कर दिया गया था और बाहर सुरक्षा गार्ड तैनात कर दिए गए थे ताकि कोई अंदर प्रवेश न कर सके। पुलिस ने मॉर्चुरी में तैनात कर्मचारियों और संबंधित डॉक्टरों से पूछताछ शुरू कर दी है।

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नवजातों के शरीर पर जली हुई पन्नी और प्लास्टिक चिपकी मिलने तथा कचरे में अस्पताल की बेडशीट बरामद होने के बाद यह आशंका जताई जा रही है कि बच्चों को पहले पन्नी में लपेटकर टंकी में फेंका गया और बाद में आग लगा दी गई। अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि दोनों नवजात पहले से मृत थे या जलने से उनकी मौत हुई। इस अहम सवाल का जवाब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ही दे पाएगी। पुलिस ने डीएनए सैंपल सुरक्षित करने और अस्पताल रिकॉर्ड तथा सीसीटीवी फुटेज की गहन जांच के निर्देश दिए हैं।

टीआई केजी शुक्ला ने बताया कि मॉर्चुरी के पास स्थित यह पुरानी पानी की टंकी लंबे समय से मरीजों और अस्पताल कर्मचारियों द्वारा कचरा फेंकने के लिए प्रयोग की जा रही थी। यहां कई बार इसमें आग भी लगा दी जाती थी। इतने संवेदनशील क्षेत्र में ऐसी खतरनाक और लापरवाहीपूर्ण व्यवस्था पर अब गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

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