जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बुधवार देर रात सिविल जज (जूनियर डिवीजन-एंट्री लेवल) परीक्षा 2022 का अंतिम परिणाम जारी कर दिया। इस साल महिलाओं ने शानदार प्रदर्शन करते हुए न्यायिक सेवा में इतिहास रच दिया है। टॉप 3 रैंक पूरी तरह महिला अभ्यर्थियों ने हासिल की हैं। वहीं, टॉप 10 में भी 7 महिलाएं शामिल हैं।
इंदौर की भामिनी राठी ने पूरे प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त कर मप्र में टॉपर का खिताब हासिल किया। उन्होंने लिखित परीक्षा और इंटरव्यू मिलाकर कुल 450 अंकों में से 291.83 अंक प्राप्त किए। दूसरे स्थान पर हरप्रीत कौर परिहार रहीं जिन्होंने 281.83 अंक हासिल किए। तीसरे स्थान पर रिया मंधान्या रहीं जिन्हें 281.50 अंक मिले हैं।
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भामिनी राठी की सफलता की कहानी काफी प्रेरणादायक है। इंदौर में पली-बढ़ी भामिनी ने अपनी स्कूली शिक्षा और लॉ की डिग्री देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से हासिल की है। वे शुरू से ही मेधावी रही हैं। भामिनी पहले मप्र हाई कोर्ट, इंदौर बेंच में वकालत कर चुकी हैं और वर्तमान में रायपुर में सिविल जज के पद पर पदस्थ हैं। उनके पिता बस ऑपरेटर हैं जबकि दोनों भाई आकाश राठी और विकास राठी इंदौर में वकालत करते हैं। परिवार में न्यायिक परंपरा भी रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके ताऊजी बी.डी. राठौर हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज हैं।
इस परीक्षा में कुल 191 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया चलाई गई थी। इनमें 41 पद सामान्य वर्ग, 5 ओबीसी वर्ग और 1 एससी वर्ग के लिए निर्धारित थे। ओबीसी वर्ग में कृतिक बघेल टॉपर रहे जिन्होंने 247.50 अंक प्राप्त किए। वहीं, एससी वर्ग में लवनिश जगधाने ने शीर्ष स्थान हासिल किया उन्हें 242.50 अंक मिले।
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मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा परीक्षा-2022 तीन चरणों में संपन्न हुई। अंतिम परिणाम में कुल 47 अभ्यर्थियों का चयन किया गया जिनमें से 26 महिलाएं हैं। यह पहली बार है जब इतनी बड़ी संख्या में महिला उम्मीदवारों ने शीर्ष स्थानों पर कब्जा जमाया है। टॉप रैंकर्स में भामिनी राठी, हरप्रीत कौर परिहार और रिया मंधान्या के अलावा विशाखा गतवार (271.67), मानषी जैन (270.50), आंचल जायसवाल (269.00), आयुषी जैन (267.17), मुस्कान मंसूरी (266.33), अदिति सनोदिया (266.33) और अदिति जैन (264.83) जैसी महिला उम्मीदवारों ने भी शानदार प्रदर्शन किया है।
रिजल्ट जारी होने के साथ ही एक अन्य मामला भी चर्चा में आया है जिसमें इंदौर की बीए-एलएलबी छात्रा प्राची अग्रवाल को देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की लापरवाही के कारण मुख्य परीक्षा में शामिल होने से वंचित होना पड़ा। विवि ने उसके तीन विषयों के अंक अंतिम परिणाम में शामिल नहीं किए जिससे उसका अंक 70% के न्यूनतम मानदंड से कम रह गया। इस मामले में विश्वविद्यालय ने हाईकोर्ट के आदेशों का भी पालन नहीं किया।
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इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने भी मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक फैसले पर रोक लगाते हुए यह स्पष्ट किया कि सिविल जज (जूनियर डिवीजन) भर्ती 2022-23 की प्रक्रिया पूर्व के भर्ती नियमों के अनुसार ही पूरी की जाएगी और तीन साल की अनिवार्य वकालत की शर्त इस परीक्षा पर लागू नहीं होगी। महिलाओं की इस उल्लेखनीय सफलता ने न केवल मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा की तस्वीर बदली है बल्कि इस क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती उपस्थिति और मेहनत का प्रमाण भी दिया है।