IAS बनने के सपने के लिए भोपाल की टॉपर साक्षी ने छोड़ा था घर, पुलिस को इंदौर में एक फैक्ट्री के पास मिली

भोपाल की 12वीं टॉपर साक्षी ने IAS बनने के सपने के लिए जनवरी 2025 में घर छोड़ दिया, जब परिवार शादी का दबाव डाल रहा था। पिता की याचिका पर हाईकोर्ट ने पुलिस को तलाश के आदेश दिए। साक्षी इंदौर में नौकरी करते मिली। कोर्ट ने माता-पिता को फटकार लगाते हुए 12 नवंबर को अगली सुनवाई की तारीख तय की है।

Updated: Nov 12, 2025, 05:52 PM IST

Photo Courtesy: AI Generated
Photo Courtesy: AI Generated

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पूरे देश में बेटियों की शिक्षा और स्वतंत्रता पर नई बहस छेड़ दी है। 12वीं की टॉपर साक्षी जिसने 92 प्रतिशत अंक लाकर अपने स्कूल और परिवार का नाम रोशन किया था, अपने IAS बनने के सपने को पूरा करने के लिए जनवरी 2025 में घर छोड़कर भाग गई थी। परिवार चाहता था कि वह पढ़ाई छोड़कर शादी कर ले लेकिन साक्षी ने अपने सपनों को नहीं छोड़ा।

मामला बजरिया थाना क्षेत्र का है। पुलिस के अनुसार, साक्षी के पिता ने उसे एक रिश्तेदार से शादी करने का दबाव डाला था। लेकिन साक्षी का सपना था कि वह पढ़े और IAS अधिकारी बने। परिवार की लगातार डांट-फटकार और दबाव के बीच उसने जनवरी 2025 में घर छोड़ दिया था। उस वक्त वह केवल 17 साल की थी। घर से निकलते समय साक्षी ने एक छोटा सा नोट छोड़ा था। जिसमें उसने लिखा था कि वह साल 2030 में IAS बनकर ही घर लौटेंगी। इस नोट ने पुलिस और परिवार दोनों को झकझोर कर रख दिया है।

यह भी पढ़ें:भोपाल में 12वीं की छात्रा ने की आत्महत्या, स्कूल नहीं जाने को लेकर मां ने लगाई थी फटकार

बेटी के लापता होने के बाद पिता ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में हैबियस कॉर्पस याचिका दाखिल की जिसके बाद अदालत ने पुलिस को साक्षी की खोज करने का आदेश दिया। इसके बाद पुलिस ने देशभर के कोचिंग सेंटर्स, कॉलेजों और लाइब्रेरी तक में तलाशी ली। कई महीनों की खोज के बाद मामले में नया मोड़ तब आया जब साक्षी ने अपना आधार कार्ड अपडेट कराया जिससे पता चला कि वह अब बालिग हो चुकी है। आधार अपडेट होते ही पुलिस को उसकी लोकेशन इंदौर में मिली।

यह भी पढ़ें:हाईकोर्ट ने MP की जर्जर सड़कों पर जताई नाराज़गी, केंद्र और राज्य सरकार से दो हफ्ते में रिपोर्ट मांगी

तलाशी के बाद इंदौर पुलिस यूनिट को साक्षी एक फैक्ट्री के पास मिली। पूछताछ में उसने बताया कि वह पहले ललितपुर में रही फिर इंदौर आकर किराए के कमरे में रहकर नौकरी करने लगी। साक्षी ने बताया कि शुरुआत में उसे 12 हजार रुपये महीना वेतन मिलता था जो अब बढ़कर 18 हजार रुपये हो गया है। नौकरी के साथ-साथ वह IAS परीक्षा की तैयारी भी कर रही थी। साक्षी ने पुलिस से कहा, “मेरे पास दो रास्ते थे। या तो अपने सपनों को मार दूं या घर छोड़ दूं। मैंने सपनों को चुना।” उसका यह बयान सुनकर जांच अधिकारी भी भावुक हो गए।

यह भी पढ़ें:बॉलीवुड अभिनेता गोविंदा की तबियत बिगड़ी, घर में बेहोश होकर गिरे, अस्पताल में भर्ती

पुलिस ने साक्षी को हाईकोर्ट में पेश किया जहां मुख्य न्यायाधीश ने माता-पिता को फटकार लगाई और कहा कि बेटी के सपनों का सम्मान करें, उसकी शिक्षा उसका अधिकार है। हालांकि, अदालत ने साक्षी को फिलहाल परिवार के संरक्षण में रहने की सलाह दी है। मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी जिसमें यह तय होगा कि साक्षी परिवार के साथ रहना चाहती है या स्वतंत्र रूप से उसे अपने सपनों की राह पर आगे बढ़ना।

यह भी पढ़ें:भोपाल में टला बड़ा हादसा, केरवा डैम के गेट के ऊपर बना ब्रिज स्लैब अचानक ढहा

इस घटना ने न केवल पुलिस और न्यायपालिका को झकझोर दिया है बल्कि यह महिलाओं की शिक्षा, आत्मनिर्भरता और परिवारिक दबाव के बीच संघर्ष का प्रतीक बन गई है। एसीपी बिट्टू शर्मा ने बताया कि जनवरी में जब साक्षी लापता हुई थी। तब उसने कुछ किताबें, 150 रुपये और अपना आईपैड लेकर घर छोड़ा था। पुलिस ने पूरे सिस्टम को सक्रिय कर उसे सुरक्षित बरामद किया है। फिलहाल साक्षी सुरक्षित है और कोर्ट के आदेशों के अनुसार आगे की प्रक्रिया चल रही है।

यह भी पढ़ें:अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर पहुंचे एक्टर धर्मेंद्र, अब घर पर ही होगा आगे का इलाज