लखनऊ। उत्तरप्रदेश के बस्ती जिले के हिन्दू युवा वाहिनी के नेता अज्जू हिंदुस्तानी और उनकी बहन के बाद अब उनकी मां का भी निधन होने की सूचना है। बताया जा रहा है कि अज्जू की मां 6 दिनों से अस्पताल में कोरोना संक्रमण का इलाज करवा रही थी जिसके बाद मंगलवार को उनकी मौत हो गई। इसके पहले अज्जू हिंदुस्तानी और उनकी बहन का भी कोरोना संक्रमण से ही देहांत हुआ था। अज्जू उस वक़्त सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने देशभर में कोरोना संक्रमण फैलाने का जिम्मेदार तब्लीगियों को बताया था और उन्हें पकड़ने के लिए 11 हजार रुपए इनाम देने का एलान किया था। 

दरअसल, पिछले महीने की 19 तारीख को अज्जू पीजीआई में हुई जांच के बाद कोरोना संक्रमित पाए गए थे। इसके बाद उन्हें कैली अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां हालत बिगड़ने के बाद उन्हें पीजीआई रेफर किया गया था। इलाज के दौरान 30 जुलाई को उनकी मौत हो गई थी। इसी दिन शाम में उनकी बहन की भी हालत बिगड़ गई थी। जिसके बाद उनकी भी मौत हो गई। अज्जू की बहन कोरोना संक्रमित होने के बाद बस्ती मेडिकल कॉलेज में इलाज करवा रही थी। दोनों भाई-बहनों के मौत के बाद उनकी मां भी कोरोना संक्रमित मिली थी जिसके बाद उन्हें बस्ती मेडिकल कॉलेज के ओपेक चिकित्सालय कैली में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में चार दिनों तक कोरोना से जूझने के बाद मंगलवार को उनकी भी मौत हो गई।

हवन से कोरोना के खात्मे का किया था दावा

भारत में जब कोरोना अपने शुरुआती दौर में था तब अज्जू हिंदुस्तानी ने कोरोना वायरस के खात्मे के लिए यज्ञ और हवन करवाया था। उनका दावा था कि यज्ञ और हवन से ही कोरोना वायरस को खत्म किया जा सकता है। इस दौरान उन्होंने कहा था कि हमारे ऋषि मुनियों ने हवन से ऐसी अनेकों बीमारियों को खत्म किया है। उनका दावा था कि हवन में जितना कपूर और घी डाला जाएगा उसके धुएं से उतना वायरस खत्म होगा। इसके लिए उन्होंने बाकायदा दर्जनों ब्लॉकों में हवन करवाया था।

तब्लीगियों के लिए 11 हजार का इनाम

उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हनुमान माने जाने वाले अज्जू ने तब्लीगियों पर 11 हजार रुपए का इनाम भी रखा था। उनकी अगुवाई में हिन्दू युवा वाहिनी ने घोषणा की थी कि जो कोई भी तब्लीगियों को पकड़ेगा उन्हें 11 हजार रुपए की इनाम राशि दी जाएगी। उन्होंने जमातियों पर साजिश के तहत देशभर में कोरोना वायरस फैलाने का आरोप लगाया था। उन्होंने सीएम योगी से मांग की थी कि पिछले 10 वर्षों में जितनी भी नई मस्जिदें, मदरसे और मजारें बनी हैं, उनकी विधिवत जांच कराई जाए कि उनका संचालन किसके हाथों में है और उसका मालिकाना हक, स्टैम्प और नक्शा वैध है या नहीं।