नई दिल्ली। कोरोना संकट के इस दौर में देशभर में ऑक्सीजन की कमी को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार को बुरी तरह से लताड़ा है। हाईकोर्ट ने कल देर शाम इस मामले पर आपात सुनवाई के दौरान कहा है कि देश के हर हिस्सों तक ऑक्सीजन पहुंचाना सरकार का काम है। कोर्ट ने कहा कि इसके लिए सरकार चाहे भीख मांगे, उधार ले या चोरी करे लेकिन देशभर में ऑक्सीजन उपलब्ध कराए। उच्च न्यायालय ने स्पष्ट तौर पर कहा कि हम ऑक्सीजन की कमी से लोगों को ऐसे मरते नहीं देख सकते।

दरअसल, देश के मशहूर मैक्स हॉस्पिटल ने अपने 6 अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मैक्स ने अपनी याचिका में कहा कि उसके 6 अस्पताल ऑक्सीजन की भयंकर किल्लत से जूझ रहे हैं। उसने अपील की थी कि तत्काल यदि ऑक्सीजन नहीं मुहैया कराया गया तो स्थिति बेहद भयावह हो जाएगी और सैंकड़ों लोगों की जान संकट में आ सकती है। मैक्स ने यह भी आरोप लगाया कि उसके कोटे का ऑक्सीजन एम्स को दे दिया गया जिस वजह से हालात और बदतर हो गए।

नागरिकों के जीवन का कोई महत्व नहीं क्या- दिल्ली हाईकोर्ट

मामले पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार शाम 8 बजे आपात सुनवाई की। इस दौरान न्यायालय ने सीधे तौर पर इस परिस्थिति के लिए केंद्र की मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया और कहा कि देश के हर हिस्से तक ऑक्सीजन पहुंचाना केंद्र की जिम्मेदारी है। जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा, 'क्या केंद्र सरकार के लिए नागरिकों के जीवन का कोई महत्व नहीं रह गया है? सरकार इंडस्ट्रियल यूज के लिए दी जा रही ऑक्सीजन पर रोक क्यों नहीं लगा रही है। हम देश के लोगों को ऑक्सीजन की कमी के कारण मरता हुआ नहीं देख सकते हैं।'

भीख मांगें, उधार लें या चोरी करें- कोर्ट

सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से अपनी बात रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ऑक्सीजन रास्ते में है और जल्द ही अस्पताल पहुंच जाएगी। इसपर उच्च न्यायालय ने कहा कि, 'देशभर में स्थिति विकट है। हम केवल दिल्ली की बात नहीं कर रहे हैं। हमारी चिंता देश के हर हिस्से के लिए है। केंद्र सरकार ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने के लिए सभी संभावनाओं की तलाश क्यों नहीं कर रही है? आप भीख मांगें, उधार लें या चोरी करें, बस देश के हर हिस्से में ऑक्सीजन उपलब्ध कराएं।'

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कोर्ट ने आगे कहा की, 'केंद्र को ऑक्सीजन के लिए राष्ट्रीय आपातकाल का आदेश पारित करना चाहिए। सरकार तत्काल सभी स्‍टील प्‍लांट और पेट्रोलियम प्‍लांट में उत्‍पादित होने वाली ऑक्‍सीजन को अपने कब्जे में ले और उसे चिकित्सीय इस्‍तेमाल के लिए सप्‍लाई करे। इसके लिए कोई इंडस्ट्री मना नहीं कर सकती है। सरकार के पास तमाम संसाधन हैं। सरकार के पास एयरफोर्स है, ऑक्सीजन को एयरलिफ्ट कर हर जगह पहुंचा सकती है। वर्तमान में हर एक मिनट कीमती है।'

लालच की हद है, इतनी भी मानवता नहीं बची क्या- कोर्ट

सुनवाई के दौरान केंद्र ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने इंडस्ट्रीज को ऑक्सीजन सप्लाई रोक लगा रखी है। सरकार के इस बात पर कोर्ट ने तल्खी से कहा कि इंडस्ट्रीज के सप्लाई रोकने में एक दिन की भी देरी क्यों हुई? किस बात की हिचक थी? आपके अधिकारियों ने देर क्यों किया? क्या इस संकट के दौर में स्टील प्लांट चलाना इतना जरूरी था?' सरकार के इस दलील पर कि ऑक्सीजन की कमी कुछ ही जगहों पर हुई है, न्यायालय ने जमकर खरी-खोटी सुनाई। उच्च न्यायालय ने कहा कि, 'ये लालच की हद है। इतनी भी मानवता नहीं बची क्या? क्या आपको जमीनी हकीकत नहीं दिखती? सरकार हकीकत से इतनी अंजान क्यों है?'