अमेरिका के मैसाचुसेट्स प्रांत में एक जज ने ट्रंप प्रशासन के उस आदेश पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी, जिसमें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों के एडमिशन पर रोक लगाई गई थी। साथ ही यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे सभी विदेशी छात्रों को दूसरे संस्थानों में ट्रांसफर लेने के लिए भी कहा गया था।

यह फैसला अमेरिकी गृह मंत्रालय के उस बयान के एक दिन बाद आया, जिसमें कहा गया था कि विदेशी छात्रों को हार्वर्ड से ट्रांसफर करना होगा, वरना उनका वीजा खतरे में पड़ जाएगा। शुक्रवार सुबह हार्वर्ड ने ट्रम्प प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दायर किया था।

हार्वर्ड ने ट्रम्प प्रशासन की कार्रवाई को गैरकानूनी बताया था। यूनिवर्सिटी ने एक बयान में कहा था कि हार्वर्ड में 140 से ज्यादा देशों से स्टूडेंट्स आते हैं। हम इंटरनेशनल स्टूडेंट्स और स्कॉलर्स के एडमिशन देने की अपनी योग्यता को बनाए रखने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने अदालत में दायर मुकदमे में कहा था कि सरकार ने एक हस्ताक्षर के साथ हार्वर्ड के लगभग एक-चौथाई छात्रों, यानी विदेशी छात्रों को हटाने की कोशिश की है, जो यूनिवर्सिटी और इसके मिशन में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के बिना हार्वर्ड, हार्वर्ड नहीं है। दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने ट्रंप सरकार के फैसले पर अस्थाई रोक लगा दी।

दरअसल, बीते कुछ दिनों से हार्वर्ड और सरकार के बीच विदेशी छात्रों से जुड़े रिकॉर्ड को लेकर खींचतान चल रही थी। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में लगभग 27% बाहरी छात्र हैं। वहां अभी लगभग 6,800 विदेशी स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं। इनमें भारत के 788 छात्र हैं। इससे पहले 2 मई को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का टैक्स फ्री संस्थान का दर्जा खत्म करने जा रहे हैं। वे हार्वर्ड की 2.2 अरब डॉलर फंडिंग पर रोक लगा चुके हैं।

इससे पहले ट्रम्प प्रशासन ने शुक्रवार सुबह ही हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की विदेशी स्टूडेंट्स को एडमिशन देने की योग्यता रद्द कर दी थी। अमेरिका की होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम ने होमलैंड सुरक्षा विभाग (DHS) को हार्वर्ड के स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम (SEVP) का सर्टिफिकेशन तत्काल प्रभाव से रद्द करने का आदेश दिया था।

इसमें कहा गया था कि विदेशी स्टूडेंट्स को एडमिशन देने की योग्यता वापस पाने के लिए हार्वर्ड को 72 घंटों में मौजूदा बाहरी स्टूडेंट्स की जानकारी देनी होगी। इसके साथ यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे सभी विदेशी छात्रों को दूसरे संस्थानों में ट्रांसफर लेने के लिए कहा गया था। नहीं तो उन्हें देश छोड़ना पड़ सकता था। हालांकि, अब इस आदेश पर अस्थाई रोक लगा दी गई है।