आज नरक चतुर्दशी यानि छोटी दिवाली भी है और दीपावली भी। जी हां, तिथियों का फेर इस बार कुछ ऐसा ही है। दरअसल,13 नवंबर की शाम 7 बजकर 50 मिनट से चतुर्दशी तिथि लगने के कारण धनतेरस की शाम से ही छोटी दिवाली या छोटी दीपावली भी शुुरू हो गई । इस दिन को नरक चतुर्दशी या रूप चतुर्दशी के नाम से भी जानते हैं। इस दिन शाम को घर के बाहर मृत्यु के देवता यमराज को दक्षिण दिशा में दीप दान कर छोटी दिवाली मनाई जाती है। 

क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी 

हिन्दू धर्म ग्रंथों और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन यमराज को दीप दान करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। माना जाता है कि नरक चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान कृष्ण की पूजा करने से सौंदर्य की भी प्राप्ति होती है। दिवाली के पूर्व संध्या पर नरक चतुर्दशी को मनाना हिन्दू धर्म मे अनिवार्य माना जाता है।

कब से कब तक है छोटी दिवाली

ज्योतिषाचार्यों और धर्म के जानकारों का मानना है कि इस साल हिंदू कैलेंडर में तिथियों के बढ़ने और घटने के कारण छोटी दिवाली 13 नवंबर की शाम से 14 नवंबर की शाम तक है।14 नवंबर की शाम अमावस्या लगने के साथ ही दिवाली शुरू हो जाएगी। नरक चतुर्दशी को हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाते हैं।

नरक चतुर्दशी तिथि और स्‍नान का शुभ मुहूर्त- 

  • चतुर्दशी तिथि प्रारंभ- 13 नवंबर 2020 को शाम 05 बजकर 59 मिनट से।
  • चतुर्दशी तिथि समाप्‍त- 14 नवंबर 2020 को दोहपर 02 बजकर 17 मिनट तक।
  • अभ्‍यंग स्‍नान का मुहूर्त- 14 नवंबर 2020 को सुबह 05 बजकर 23 मिनट से सुबह 06 बजकर 43 मिनट तक।
  • कुल अवधि- 01 घंटे 20 मिनट।

नरक चतुर्दशी के दिन ऐसे करें दीपदान-

  • नरक चतुर्दशी के दिन घर के सबसे बड़े सदस्‍य को यम के नाम का एक बड़ा दीया जलाना चाहिए।
  •  इस दीये को पूरे घर में घुमाएं।
  • अब घर से बाहर जाकर दूर इस दीये को रख आएं।
  •  घर के दूसरे सदस्‍य घर के अंदर ही रहें और उन्हें यह दीपक नहीं देखना चाहिए।