नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना को आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली एक छात्रा ने पत्र लिखा है। पत्र में छात्रा ने गुहार लगाई कि उसके गांव में बस सेवा संचालित की जाए। छात्रा ने बताया कि बस सेवा बंद होने के कारण वह स्कूल नहीं जा पा रही है। खास बात ये है कि जस्टिस रमन्ना ने तत्काल इस खत को संज्ञान में लिया और सीजेआई की पहल से बस सेवा शुरू भी की गई।



मामला रंगारेड्डा जिले के एक छोटे से गांव चिडेडू का है। गांव की रहने वाली पी वैष्णवी आठवीं कक्षा में पढ़ाई करती हैं। वैष्णवी के पिता की कार्डियक अरेस्ट से मौत हो चुकी हैं। उनकी मां इतने पैसे नहीं कमा पाती हैं कि बच्चों को स्कूल भेजने के लिए ऑटो का खर्च वहन कर पाएं। ऐसे में वैष्णवी ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से मदद की गुहार लगाई। 



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वैष्णवी ने सीजेआई को पत्र लिखकर बताया कि कोरोना महामारी की वजह से उसके गांव में बस सेवा को बंद कर दिया गया था। कोरोना के बाद स्कूल-कॉलेज तो खुले लेकिन बस सेवा शुरू नहीं हुई। बस का संचालन बंद होने की वजह से वह, उसकी बहन और भाई को स्कूल तथा कॉलेज जाने में परेशानी हो रही है। साथ ही गांव के अन्य बच्चे भी स्कूल-कॉलेज नहीं जा पा रहे हैं। 





खास बात ये है कि वैष्णवी की चिट्ठी को संज्ञान में लेते हुए जस्टिस रमन्ना ने टीएसआरटीसी के वीसी सज्जनार को बस सर्विस की शुरु करने का निर्देश दिया ताकि छात्र स्कूल जा सकें। चिट्ठी के आधार पर जस्टिस रमन्ना ने राज्य रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन को कहा कि बच्चों को शिक्षा का अधिकार है और वह प्रभावित नहीं होना चाहिए। इसलिए बस सेवा बहाल होनी चाहिए। ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के एमडी ने ट्वीट कर बताया है कि चीफ जस्टिस के दखल के बाद बस सेवा बहाल कर दी गई है। सीजेआई की यह पहल देशभर में चर्चा का विषय है और उनकी खूब सराहना हो रही है।