नई दिल्ली। फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के संबंध में पुलिस ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अपूर्वानंद से तीन अगस्त को पूछताछ की। प्रोफेसर ने बताया कि उनसे करीब पांच घंटे तक पूछताछ हुई और पुलिस ने जांच के लिए उनका फोन ज़ब्त कर लिया। इस संबंध में प्रोफेसर अपूर्वानंद ने एक बयान भी जारी किया है। उन्होंने अपने बयान में कहा है कि “पुलिस को उन विरोध प्रदर्शनकारियों और उनके समर्थकों को प्रताड़ित नहीं करना चाहिए, जिन्होंने संवैधानिक तरीके से नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी और एनपीआर का विरोध किया। पुलिस के निष्पक्ष और संपूर्ण जांच करने के अधिकार का सम्मान करते हुए और जांच में सहयोग करते हुए बस यह आशा की जा सकती है कि इसका ध्यान उत्तरपूर्वी दिल्ली के लोगों और शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हुई हिंसा के असली गुनाहगारों पर होगा।”

उन्होंने पुलिस से अपील की है कि वह उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच करे। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदर्शनकारियों के समर्थकों को हिंसा भड़काने वाला बताया जाना गलत है। ग़ौरतलब है कि प्रोफेसर अपूर्वानंद दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी पढ़ाते हैं। उन्हें केंद्र सरकार और दक्षिणपंथी राजनीति के खिलाफ एक मुखर आवाज के रूप में पहचाना जाता है। नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ हुए देशव्यापी आंदोलन ने उन्होंने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। प्रोफेसर अपूर्वानंद प्रदर्शनकारियों के समर्थकों में शामिल हैं।   

दिल्ली पुलिस ने इसी साल फरवरी के आखिरी सप्ताह में उत्तर पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा के संबंध में उनसे पूछताछ की है। इस हिंसा में 53 लोगों की मौत हो गई थी और हज़ारों लोग बेघर हो गए थे। यह हिंसा करीब तीन दिन चली थी।