कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्ष वर्धन को आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल के भ्रामक प्रचार में शामिल होने पर IMA की तरफ से पूछे गए सवालों का जवाब देना चाहिए। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने बाबा रामदेव की कंपनी की बनाई दवा कोरोनिल के लॉन्च में शामिल होने पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से जवाब तलब किया है। आईएमए ने पूछा है कि आखिर डॉ हर्षवर्धन खुद एक डॉक्टर और देश के स्वास्थ्य मंत्री होने के बावजूद एक अप्रमाणित दवा का प्रचार करने क्यों गए? 

दिग्विजय सिंह ने आईएमए की इसी पहल का समर्थन करते हुए डॉ. हर्षवर्धन से सफाई देने की मांग की है। दिग्विजय सिंह ने कहा है कि इस भ्रामक प्रचार में शामिल होने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को जवाब देना चाहिए। राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने ट्वीट करके पूछा है कि क्या हर्षवर्धन इस मसले पर कोई प्रतिक्रिया देंगे? 

आईएमए ने डॉ हर्षवर्धन से बाबा रामदेव और उनकी कंपनी ने द्वारा प्रचारित किए गए झूठ में शामिल होने पर जवाब तलब किया है। मेडिकल एसोसिएशन ने कहा है कि स्वास्थ्य मंत्री ने उस कार्यक्रम में शामिल होकर डॉक्टरों की आचार संहिता का उल्लंघन किया है। आईएमए ने कहा है कि मंत्रियों की आड़ में जिस तरह से कोरोनिल से जुड़े भ्रामक दावे का प्रचार प्रसार किया गया, उससे लोगों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। लिहाज़ा स्वास्थ्य मंत्री को अपनी मौजूदगी पर जवाब देना चाहिए। 

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा है कि स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन द्वारा गैर वैज्ञानिक दवा का गलत और भ्रामक प्रचार किया जाना सही नहीं है। आईएमए ने कोरोनिल के बारे में किए गए दावे को WHO द्वारा खारिज किए जाने को देश के लिए शर्मनाक बताया है। आईएमए ने कहा है कि WHO द्वारा कोरोनिल का दावा खारिज किया जाना शर्मनाक है।  आईएमए ने पूछा है कि अगर उस प्रेस कॉन्फ्रेंस के आधार पर कोई व्यक्ति यह गैर वैज्ञानिक दवा खरीद लेता है तो इसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा? आईएमए ने पूछा है कि आखिर डॉ हर्षवर्धन देश के स्वास्थ्य मंत्री और डॉक्टर होने के बावजूद कोरोनिल जैसी अप्रमाणित दवा का प्रचार करने क्यों गए? 

दरअसल 19 फरवरी को योग गुरु बाबा रामदेव ने पतंजलि द्वारा निर्मित कोरोनिल पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की थी। जिसमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी मौजूद थे। इस कार्यक्रम में दोनों मंत्रियों की मौजूदगी में दावा किया गया कि पतंजलि द्वारा निर्मित दावा कोरोनिल WHO द्वारा प्रमाणित है और 158 देशों में इसके ट्रायल की अनुमति भी मिल गई है। लेकिन इस दावे में और हकीकत में ज़मीन आसमान का फर्क तब स्पष्ट हो गया जब खुद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि उसने कोरोनिल जैसी किसी भी दवा को प्रमाणित नहीं। किया है। 

कोरोनिल के लॉन्च के लिए आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में रामदेव केंद्रीय मंत्रियों के सामने कहा था कि उनकी दवा अब WHO से प्रमाणित है। उन्होंने कहा था कि कोरोनिल के लिए CoPP-WHO GMP सर्टिफिकेशन मिल चुका है। लेकिन WHO द्वारा इन दावों को खारिज किए जाने के बाद पतंजलि फॉर्मेसी की तरफ से गोलमोल स्पष्टीकरण दिए गए, जिनमें कहा गया कि उन्होंने दवा के WHO द्वारा प्रमाणित होने का दावा ही नहीं किया।