नई दिल्ली। देशभर में कोरोना वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार कर रहे लोगों के लिए अच्छी खबर है। भारत में स्वदेशी कोरोना वायरस की वैक्सीन अगले दो महीनों में तैयार हो सकती है। यह बात खुद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कही है। बीजेपी नेता ने कहा है कि स्थानीय स्तर पर विकसित की जा रही कोविड -19 वैक्सीन एक या दो महीने में अपना अंतिम परीक्षण पूरा कर सकती है। हर्षवर्धन के इस बयान के बाद वैक्‍सीन के जल्‍दी उपलब्‍ध होने की संभावनाएं बढ़ गई  है।

केंद्रीय मंत्री ने रविवार को महामारी पर आयोजित एक वेब सेमिनार के दौरान कहा, 'हम अपने स्वदेशी टीके विकसित करने की प्रक्रिया में हैं, अगले एक या दो महीनों में हमारे तीसरे चरण के परीक्षण की प्रक्रिया पूरी हो सकती है। उन्होंने दोहराया कि सरकार की योजना जुलाई तक 20 से 25 करोड़ भारतीयों का टीकाकरण करने की है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सरकार आपातकालीन वैक्सीन का विकल्प भी चुन सकती है, विशेष रूप से बुजुर्गों और उच्च जोखिम वाले कार्यक्षेत्रों के लोगों के लिए। 

बता दें कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और निजी कंपनी भारत बायोटेक मिलकर कोरोना वायरस की वैक्‍सीन बनाने का काम कर रहे हैं। इस स्‍वदेशी वैक्‍सीन का नाम कोवैक्‍सीन है। भारत बायोटेक ने रविवार को कहा है कि उसके शोधकर्ताओं की ओर से बनाई जा रही भारत की पहली स्‍वदेशी कोरोना वैक्‍सीन Covaxin कम से कम 60 फीसदी प्रभावी होगी।

कंपनी का कहना है उसने कोरोना वैक्‍सीन के करीब 60 फीसदी प्रभावीकरण का लक्ष्य रखा है। यह अनुमान से अधिक भी हो सकता है। वैक्सीन के अब तक परीक्षण से उम्मीद बंधी है कि कौवैक्सीन के 50 फीसदी से कम प्रभावी रहने की आशंका काफी कम है। भारत बायोटेक में क्‍वालिटी ऑपरेशंस के प्रमुख साई डी प्रसाद ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), यूनाइटेड स्टेट्स फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (यूएसएफडीए) और भारत के सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) के मानकों के मुताबिक टीका कम से कम 50 फीसदी असरदार होना चाहिए।

गौरतलब है कि अमेरिका की कंपनियां फाइज़र और मॉडर्ना ने कोरोना वैक्सीन के अंतिम ट्रायल पूरे कर लिए हैं और उन्हें अमेरिकी सरकार से इमरजेंसी परमिशन जल्द ही मिलने की उम्मीद है। इन दोनों ही कंपनियों की वैक्सीन करीब 95 फीसद तक असरदार पाई गई है। लेकिन अमेरिकी कंपनियों की वैक्सीन के मुकाबले भारतीय वैक्सीन काफी सस्ती होने की उम्मीद है। अमेरिकी वैक्सीन का दाम ढाई से तीन हज़ार रुपये तक हो सकता है, जबकि भारतीय वैक्सीन उससे कई गुना कम लागत पर मिलने की उम्मीद की जा रही है।

बता दें कि आईसीएमआर के एक वैज्ञानिक ने इस महीने की शुरुआत में ही रॉयटर्स को बताया है कि टीका फरवरी या मार्च में लॉन्च किया जा सकता है। हालांकि भारत बायोटेक ने शुक्रवार को रॉयटर्स को अलग से बताया कि तीसरे चरण के परीक्षणों के परिणाम मार्च और अप्रैल के बीच आने की उम्मीद है।